Aapka Rajasthan

वीडियो में देखे 200 साल से वीरान पड़े कुलधरा का सबसे भयानक स्थान, कहते हैं जिसने देखा वो सदमे से लौट नहीं पाया

वीडियो में देखे 200 साल से वीरान पड़े कुलधरा का सबसे भयानक स्थान, कहते हैं जिसने देखा वो सदमे से लौट नहीं पाया
 
वीडियो में देखे 200 साल से वीरान पड़े कुलधरा का सबसे भयानक स्थान, कहते हैं जिसने देखा वो सदमे से लौट नहीं पाया

कुलधरा की कहानी के इस आखिरी पड़ाव पर रहस्य का पर्दा हटेगा। कुलधरा के उस रहस्य से पर्दा उठेगा, जिससे लोग आज तक अनजान हैं। पैरानॉर्मल सोसाइटी ऑफ इंडिया की टीम को जब आधे घंटे तक कमरे की तलाशी लेने के बाद कुछ नहीं मिला तो टीम ने कुलधरा के सबसे बड़े घर की ओर रुख किया।


इसी बीच वहां से गुजरते हुए टीम को अहसास हुआ कि उनकी कार के शीशे पर कुछ रहस्यमयी निशान दिखाई दे रहे हैं। ध्यान से देखने पर पता चला कि कार के पिछले शीशे पर हाथों के निशान हैं, जो शीशे पर जमी धूल के बीच साफ दिखाई दे रहे हैं। लेकिन टीम अंधविश्वास को किसी भी कीमत पर नहीं मानती, जिस वजह से टीम के सभी सदस्यों ने इसे नजरअंदाज किया और आगे बढ़ गए। टीम को यह भी लगा कि उन सदस्यों में से किसी का हाथ अनजाने में शीशे पर लग गया होगा।

कुलधरा में 970 घर हैं और सभी की अलग-अलग कहानियां हैं। टीम अब कुलधरा के सबसे बड़े घर के पास पहुंच चुकी थी। जांच के लिए सभी सदस्य वैज्ञानिक मशीनों के साथ घर में दाखिल हुए। यह घर वाकई बहुत बड़ा दिखता है, जो उस दौर के आलीशान घरों की गवाही देता था।प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस घर में एक छोटा सा कमरा है, जिसके तहखाने में पालीवाल ब्राह्मणों का खजाना दबा हुआ था। कहा जाता है कि आज भी उस खजाने की रक्षा एक जहरीला कोबरा और कुछ अज्ञात शक्तियां मिलकर करती हैं। कमरे के एक कोने में उस तहखाने का रास्ता दिखाई देता था।

संभव है कि पलायन के समय पालीवाल ब्राह्मणों का धन वास्तव में यहां मौजूद रहा हो, लेकिन अज्ञात शक्तियों की मौजूदगी के दावे पर यकीन करना मुश्किल था। टीम अंदर नहीं गई, बल्कि टॉर्च की रोशनी में पूरे तहखाने की तलाशी ली। टीम को वहां कुछ भी चौंकाने वाला नहीं दिखा। कम से कम कोई अज्ञात शक्ति तो नहीं।

इसके बाद टीम का अगला पड़ाव कुलधरा की सबसे डरावनी जगह यानी बावड़ी थी, जहां स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि हजारों पर्यटक भी रहस्यमयी परछाई देखने का दावा कर चुके हैं। 200 साल पहले यह बावड़ी कुलधरा में पानी का एकमात्र स्रोत थी, लेकिन आज बावड़ी में पानी है। बावड़ी के आस-पास जीवन का कोई संकेत नहीं है। पैरानॉर्मल सोसायटी ऑफ इंडिया की टीम बावड़ी के अंदर के रहस्यों का पता लगाने के लिए अपने प्रयोग करती रही। लेकिन न तो मोशन सेंसर की लाइट जली और न ही के-2 मीटर ने किसी अदृश्य ऊर्जा का संकेत दिया। कुल मिलाकर इन वैज्ञानिक उपकरणों को भी कुलधरा की सबसे डरावनी जगह पर किसी अज्ञात शक्ति के अस्तित्व का कोई सबूत नहीं मिला। 

टीम ने बावड़ी के आसपास के कुछ पुराने घरों में भी इसी तरह के प्रयोग किए, लेकिन किसी भी पैरा साइंस मशीन पर कोई हलचल दर्ज नहीं हुई। यह ऐतिहासिक रूप से सच है कि कुलधरा से हजारों परिवार पलायन कर गए। यह भी सच है कि आज भी कुलधरा में राजस्थानी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। दिन के उजाले में सैकड़ों पर्यटक यहां आते हैं। जिससे सरकार को भारी राजस्व लाभ होता है। लेकिन यह भी सच है कि कुलधरा में भूत-प्रेत की कहानियां महज एक मनोवैज्ञानिक भ्रम हैं। कुलधरा दिन के उजाले में भी उतना ही सुरक्षित है जितना रात के अंधेरे में। इसलिए आपको भी देश की विरासत को देखने, राजस्थान के इतिहास को समझने और अनूठी संस्कृति का अनुभव करने के लिए यहां जाना चाहिए।