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5600 साल पुरानी है जयपुर के गोविंद जी मंदिर में स्थापित कृष्ण जी की मूर्ती, वीडियो में जाने द्वापर में किसने करवाया निर्माण ?

5600 साल पुरानी है जयपुर के गोविंद जी मंदिर में स्थापित कृष्ण जी की मूर्ती, वीडियो में जाने द्वापर में किसने करवाया निर्माण ?
 
5600 साल पुरानी है जयपुर के गोविंद जी मंदिर में स्थापित कृष्ण जी की मूर्ती, वीडियो में जाने द्वापर में किसने करवाया निर्माण ?

राजस्थान की राजधानी जयपुर न केवल अपने किलों, हवेलियों और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के मंदिर भी उतने ही ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध हैं। इन्हीं में से एक है श्री गोविंद देव जी का मंदिर, जो केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास, भक्ति और चमत्कारिक कथाओं का केंद्र भी है।

5600 साल पुरानी मूर्ति और उसका गूढ़ इतिहास

माना जाता है कि जयपुर के इस प्रसिद्ध मंदिर में जो श्रीकृष्ण की प्रतिमा विराजमान है, वह लगभग 5600 साल पुरानी है। यह मूर्ति कोई सामान्य कलाकृति नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण के परपोते वज्रनाभ द्वारा स्वयं बनाई गई थी। कहते हैं जब वज्रनाभ केवल 13 वर्ष के थे, तब उन्होंने अपने पूर्वज श्रीकृष्ण की छवि को साकार करने का प्रयास किया था। यह मूर्ति उस श्रद्धा, प्रेम और भक्ति की प्रतीक है जो युगों से चली आ रही है।

वज्रनाभ को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ कि उन्होंने अपनी दादी उषा और अन्य परिजनों के कथन के आधार पर श्रीकृष्ण का वास्तविक स्वरूप गढ़ा। गोविंद जी की मूर्ति तीन ऐसी मूर्तियों में से एक मानी जाती है जिन्हें वज्रनाभ ने श्रीकृष्ण के अलग-अलग भावों और रूपों को ध्यान में रखते हुए बनाया था—गोविंद, मदन मोहन और गोपीनाथ।

वृंदावन से जयपुर तक की यात्रा

इस दिव्य मूर्ति की यात्रा भी उतनी ही अद्भुत रही है। प्रारंभ में यह प्रतिमा वृंदावन में स्थापित की गई थी, लेकिन मुगल शासनकाल में जब मंदिरों और मूर्तियों पर अत्याचार बढ़ने लगे, तब इसे सुरक्षित रूप से स्थानांतरित किया गया। इतिहासकारों के अनुसार, औरंगजेब के समय में जब वृंदावन पर संकट मंडरा रहा था, तो महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने इस मूर्ति को जयपुर लाकर अपने सिटी पैलेस परिसर में विराजमान किया।

राजा और भगवान के बीच एक अनोखा रिश्ता

गोविंद देव जी मंदिर को जयपुर राजपरिवार की कुलदेवता की मान्यता प्राप्त है। इस मंदिर को सिटी पैलेस के सामने इस तरह बनाया गया है कि राजा अपने महल से ही दर्शन कर सकें। आज भी मंदिर की खिड़की और सिटी पैलेस की खिड़की बिल्कुल एक सीध में हैं, जो उस काल के वास्तु शिल्प और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण हैं।

भव्य आरती और श्रद्धालुओं का सैलाब

हर दिन गोविंद जी मंदिर में सात बार आरती होती है, लेकिन सबसे ज्यादा श्रद्धालु मंगला आरती और संध्या आरती में जुटते हैं। भक्तों का विश्वास है कि गोविंद जी के दर्शन मात्र से जीवन के सारे दोष मिट जाते हैं। इस मंदिर में जन्माष्टमी, राधाष्टमी और गोवर्धन पूजा जैसे पर्वों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं।

क्यों है गोविंद जी को जीवंत देवता कहा जाता है?

यह मंदिर केवल ईंट और पत्थर का ढांचा नहीं है—यह स्थान भक्तों की जीवंत आस्था और जीवंत देवता की अनुभूति देता है। लोग मानते हैं कि गोविंद जी की मूर्ति में आज भी प्राण हैं। ऐसा कहा जाता है कि भक्तों की पुकार पर वे तत्काल प्रतिक्रिया देते हैं और कई भक्तों ने उनके चमत्कारिक अनुभवों को महसूस किया है।

पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत स्थल

जयपुर आने वाला हर पर्यटक इस मंदिर के दर्शन किए बिना अपनी यात्रा अधूरी मानता है। चाहे भारतीय हों या विदेशी सैलानी—सभी को इस स्थान में कुछ दिव्यता का अनुभव अवश्य होता है। इतिहास, भक्ति और संस्कृति का ऐसा त्रिवेणी संगम बहुत कम देखने को मिलता है।