3 मिनट के शानदार वीडियो में करे रणकपुर जैन टेम्पल का इनसाइड वर्चुअल टूर, जानिए क्यों यहां खिंचे चले आते है पर्यटक
राजस्थान की पावन धरती पर अरावली की गोद में बसा रणकपुर जैन मंदिर न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला, शांत वातावरण और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रणकपुर जैन मंदिर अंदर से कैसा दिखता है और इसकी खासियत क्या है? चलिए जानते हैं इस चमत्कारी मंदिर से जुड़ी पूरी कहानी, जो हजारों वर्षों की आस्था और कला का प्रतीक है।
अंदर से कैसा दिखता है रणकपुर जैन मंदिर?
रणकपुर जैन मंदिर के अंदर कदम रखते ही आप किसी और ही दुनिया में पहुंच जाते हैं। चारों ओर फैली सफेद संगमरमर की नक्काशी, विशाल स्तंभ, ऊंचे गुंबद और अद्भुत शिल्प कला आंखों को मंत्रमुग्ध कर देती है। मंदिर के अंदर 1444 स्तंभ हैं और सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इन सभी स्तंभों की नक्काशी एक-दूसरे से अलग है। हर स्तंभ अपने आप में एक कहानी कहता है।मंदिर के बीचों-बीच भगवान आदिनाथ (पहले तीर्थंकर) की एक विशाल संगमरमर की प्रतिमा विराजित है। मंदिर की छत पर बनाई गई आकृतियाँ और झरोखों से आती रोशनी, इस स्थान को दिव्यता से भर देती हैं। अंदर का हॉल इतना विशाल है कि आप घंटों बैठकर ध्यान या साधना कर सकते हैं।
क्या है मंदिर की खासियत?
1444 स्तंभों की अनोखी कला – इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है इसकी विशालता और इसकी नक्काशीदार 1444 संगमरमर के स्तंभ, जिनमें से कोई भी दो स्तंभ एक जैसे नहीं हैं। यह दुनिया में वास्तुकला का एक अनोखा उदाहरण माना जाता है।
वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता – रणकपुर मंदिर का निर्माण 15वीं सदी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। मंदिर का निर्माण शिल्पकार देपा और धर्मप्रेमी व्यापारी धनशाह ने मिलकर करवाया था। यह मंदिर मेरु पर्वत के प्रतीक के रूप में बनाया गया है।
संगमरमर का प्रयोग – मंदिर पूरी तरह सफेद संगमरमर से बना है। इतनी शुद्धता और सफेदी लिए हुए संगमरमर आज भी वैसा ही चमकता है, जैसा सैकड़ों साल पहले रहा होगा। सूरज की रोशनी जब मंदिर पर पड़ती है, तो यह सोने-सा दमकता है।
पर्यावरण के बीच शांत स्थित – यह मंदिर अरावली की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच, एकांत और हरियाली से घिरे क्षेत्र में स्थित है। इसका वातावरण शांति और ध्यान के लिए अत्यंत उपयुक्त है।
शिल्पकला का जीवंत संग्रहालय – मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारत की प्राचीन मूर्तिकला और वास्तुकला का जीवंत संग्रहालय भी है। मंदिर की दीवारों, छतों और स्तंभों पर खुदे चित्र और कथाएं प्राचीन भारत की संस्कृति की झलक देती हैं।
दुनियाभर से क्यों आते हैं पर्यटक?
रणकपुर जैन मंदिर की ख्याति अब केवल भारत तक सीमित नहीं है। हर साल हजारों विदेशी पर्यटक यहां आकर भारतीय संस्कृति, धर्म और वास्तुकला का अद्भुत संगम देखते हैं। अंतरराष्ट्रीय ट्रैवल गाइड्स में इस मंदिर को "Must Visit Destination in India" के रूप में दर्शाया गया है।
धार्मिक महत्व: जैन धर्म के अनुयायी इस मंदिर को तीर्थ स्थल मानते हैं और यहां आकर पूजा, व्रत और ध्यान करते हैं।
शांति की तलाश में: जिन लोगों को भीड़ से दूर किसी शांत स्थान की तलाश होती है, उनके लिए रणकपुर मंदिर एक आध्यात्मिक शरणस्थली बन चुका है।
फोटोग्राफी और रिसर्च का केंद्र: कई आर्किटेक्चर स्टूडेंट्स, फोटोग्राफर्स और शोधकर्ता भी यहां आकर इस मंदिर की अद्भुत बनावट पर काम करते हैं।
