Aapka Rajasthan

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला मामले में राजस्थान से पूछा सवाल, सुरक्षा पर जताई गंभीर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला मामले में राजस्थान से पूछा सवाल, सुरक्षा पर जताई गंभीर चिंता
 
सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला मामले में राजस्थान से पूछा सवाल, सुरक्षा पर जताई गंभीर चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पर्वतमाला को लेकर राजस्थान सरकार से उठ रहे सवालों पर गंभीरता दिखाई है। कोर्ट ने विशेष रूप से यह पूछकर राज्य सरकार को चुनौती दी कि क्या अरावली क्षेत्र में कुल 12,081 पहाड़ियों में से केवल 1,048 पहाड़ियां ही संरक्षण या परिभाषा के दायरे में आती हैं।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि पूरे अरावली क्षेत्र की सुरक्षा और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। कोर्ट ने चिंता व्यक्त की कि यदि इतनी कम संख्या में पहाड़ियों को ही संरक्षण दिया जाएगा, तो बाकी क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से कमजोर हो सकता है।

राजस्थान सरकार को नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करे। इसमें हर पहाड़ी की स्थिति, खनन और विकास गतिविधियों का विवरण, साथ ही पर्यावरणीय प्रभाव का आंकलन शामिल होना चाहिए। कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति गठित करने का सुझाव दिया है, जो मौजूदा रिपोर्ट का विश्लेषण करके संबंधित मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट को सुझाव देगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अरावली पर्वतमाला के संरक्षण को लेकर किसी भी प्रकार की अनदेखी गंभीर पर्यावरणीय और कानूनी परिणाम पैदा कर सकती है। कोर्ट का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य सरकार पर्यावरणीय नियमों का पालन करे और खनन जैसी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखे।

विशेषज्ञों का कहना है कि अरावली पर्वतमाला न केवल राजस्थान बल्कि पूरे उत्तर-पश्चिम भारत के लिए जल संरक्षण, वायु गुणवत्ता और जैव विविधता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए कोर्ट द्वारा उठाया गया यह सवाल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

राजस्थान सरकार को 21 जनवरी 2026 तक खनन पर रोक लगाई गई है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, इस अवधि में गठित विशेषज्ञ समिति अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और पूरे क्षेत्र की सुरक्षा, खनन और विकास गतिविधियों के संतुलन पर सुझाव देगी।

इस मामले में केंद्र सरकार और अरावली क्षेत्र से जुड़े चार राज्यों—राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और हरियाणा—को भी नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने इन राज्यों से भी विस्तृत जवाब मांगा है ताकि पूरे क्षेत्र की पारदर्शिता और संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट की यह प्रतिक्रिया पर्यावरण संरक्षण और खनन गतिविधियों के संतुलन को लेकर गंभीर चिंता को दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट की सख्ती से राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को भविष्य में पर्यावरणीय नियमों का पालन करने में और अधिक सतर्क रहना पड़ेगा।

अरावली पर्वतमाला विवाद लंबे समय से राजनीतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टि से चर्चा में रहा है। सुप्रीम कोर्ट की हालिया प्रतिक्रिया ने इस मुद्दे को फिर से प्राथमिकता दी है और सुनिश्चित किया है कि राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्ष पर्यावरणीय संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें।