अरावली पर्वत माला में छिपे है भगवान शिव से सत्यवादी राजाओं तक के किस्से, वीडियो में जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

अरावली पर्वत माला, भारत की प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है, जो न केवल प्राकृतिक सौंदर्य और विविधता से भरपूर है, बल्कि इसके इतिहास और पौराणिक किस्सों का भी विशेष महत्व है। यह पर्वत माला राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में फैली हुई है और इसके आस-पास कई ऐतिहासिक स्थल, धार्मिक स्थल और पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुईं हैं। इन पहाड़ियों के बारे में कई रहस्यमयी और ऐतिहासिक बातें हैं जो समय के साथ इतिहास के पन्नों में खो गईं, लेकिन इनकी गूढ़ता आज भी लोगों के बीच जीवित है।
अरावली की उत्पत्ति और पौराणिक महत्व:
अरावली पर्वत माला की उत्पत्ति पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि यह पर्वत माला विश्व के सबसे पुराने पर्वतों में से एक है और इसकी उम्र लगभग 5,000 साल से भी अधिक मानी जाती है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, जब भगवान शिव ने तंत्र-मंत्र की साधना की थी, तो उनके आशीर्वाद से यह पर्वत श्रृंखला प्रकट हुई। इसके पीछे यह मान्यता भी है कि इन पहाड़ियों ने कई युद्धों और धर्म की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भगवान शिव और अरावली पर्वत:
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी तपस्या के दौरान अरावली पर्वत के शिखरों पर ध्यान लगाया था। यही कारण है कि इन पहाड़ियों को विशेष धार्मिक महत्व प्राप्त है। लोक मान्यता के अनुसार, यह पर्वत माला उन स्थानों में से एक मानी जाती है जहां भगवान शिव ने अपनी तपस्या पूरी की। विशेष रूप से राजस्थान के प्रमुख मंदिरों में, जैसे कि अरावली पर्वत के पास स्थित शिव मंदिर, इन पहाड़ियों का विशेष स्थान है। यह स्थान आज भी श्रद्धालुओं के लिए ध्यान और साधना का केंद्र है।
सत्यवादी राजा का शाप और अरावली:
एक और महत्वपूर्ण पौराणिक किस्सा अरावली पर्वत से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक सत्यवादी राजा की कहानी है। यह राजा, जो एक बहुत ही न्यायप्रिय और सत्यवादी था, एक दिन भगवान विष्णु से मिलने के लिए पर्वतों की ओर बढ़ा। रास्ते में उसे कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उसने कभी अपने आदर्शों से समझौता नहीं किया। भगवान विष्णु ने उसकी सत्यनिष्ठा से प्रभावित होकर उसे आशीर्वाद दिया और उसी समय से अरावली पर्वत को एक पवित्र स्थल माना जाने लगा। इसके बाद, इस स्थान को शाप से मुक्त कर दिया गया, जो राजा को उसकी साधना से मिला था।
काव्य और कला में अरावली पर्वत:
अरावली पर्वत माला का पौराणिक महत्व न केवल धार्मिक ग्रंथों में, बल्कि काव्य और कला में भी समाहित है। प्राचीन संस्कृत साहित्य और पेंटिंग्स में इन पहाड़ियों का अक्सर उल्लेख मिलता है। कवियों और कलाकारों ने इन पहाड़ियों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया है, और अरावली की रहनुमाई को एक प्रतीक के रूप में चित्रित किया है, जो समय के साथ बदलते हुए फिर भी अपनी महानता को बनाए रखता है।
पौराणिक युद्ध और अरावली:
इतिहासकारों और पौराणिक कथाओं के अनुसार, अरावली पर्वत माला ने कई युद्धों का साक्षी बनने का गौरव प्राप्त किया है। विशेष रूप से महाभारत के युद्ध के समय, अरावली पर्वत माला को एक रणनीतिक स्थान माना जाता था, जहां दोनों पक्षों ने युद्ध के दौरान शिव की पूजा की और शरण ली। माना जाता है कि इस पर्वत श्रृंखला में स्थित कई गुफाएं युद्ध के दौरान आश्रय स्थल के रूप में इस्तेमाल की जाती थीं। ये गुफाएं न केवल धार्मिक महत्व रखती थीं, बल्कि इनका इस्तेमाल शरण लेने और शत्रुओं से बचने के लिए किया जाता था।
कुल देवता और अरावली पर्वत:
अरावली पर्वत माला में अनेक ऐसे स्थल हैं, जो लोगों के लिए कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर, सवाई माधोपुर में स्थित प्रसिद्ध "केकड़ी माता का मंदिर" और "ब्रह्मा जी का मंदिर" आदि। इन स्थानों को स्थानीय लोग विशेष मानते हैं और यह जगहें पौराणिक कथाओं से जुड़ी हुई हैं। इन देवताओं की उपासना से जुड़ी कई कथाएं हैं, जिनके अनुसार, यह स्थान लोगों की रक्षा करता है और उनके जीवन में सुख और समृद्धि लाता है।
अरावली की गुफाएं और रहस्य:
अरावली पर्वत माला में कई गुफाएं भी पाई जाती हैं, जो पौराणिक काल से जुड़ी हुई हैं। इन गुफाओं में रहने वाले साधू संतों के बारे में कई रहस्यमय कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध गुफा का नाम है "सिद्धि विनायक गुफा", जिसे भगवान गणेश के दर्शन स्थल के रूप में पूजा जाता है। ऐसी कई गुफाएं और स्थान हैं, जो प्राचीन काल से ही रहस्यों से जुड़े हुए हैं और आज भी इन स्थानों पर श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं।
निष्कर्ष:
अरावली पर्वत माला की पौराणिक कहानी बहुत ही दिलचस्प और रहस्यमय है। इन पहाड़ियों में न केवल धार्मिक महत्व है, बल्कि इनका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इन पहाड़ियों की छांव में बिताए गए अनगिनत दिनों की गवाही इन स्थानों पर मौजूद पौराणिक धरोहरें देती हैं। चाहे वह भगवान शिव की तपस्या हो, सत्यवादी राजा का शाप हो या फिर पौराणिक युद्ध, अरावली पर्वत माला की हर एक चोटी और घाटी में एक अद्वितीय इतिहास और रहस्य बसा हुआ है। यह पर्वत माला आज भी हमें अपने प्राचीन संस्कृति और ऐतिहासिक धरोहर से जोड़ती है और आने वाली पीढ़ियों को इनकी महत्ता का अहसास कराती है।