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एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एनएमसी नियमों की अनदेखी का आरोप, ट्रॉपिकल मेडिसिन विभाग में अनियमितताओं पर उठे सवाल

 
एसएमएस मेडिकल कॉलेज में एनएमसी नियमों की अनदेखी का आरोप, ट्रॉपिकल मेडिसिन विभाग में अनियमितताओं पर उठे सवाल

राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज सवाई मानसिंह (एसएमएस) मेडिकल कॉलेज, जयपुर में नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नियमों को दरकिनार कर ट्रॉपिकल मेडिसिन डिपार्टमेंट संचालित किए जाने का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि विभाग में निर्धारित प्रोफेसर को दरकिनार कर पढ़ाई, परीक्षाएं और शोध (थीसिस) का काम कराया जा रहा है, जो एनएमसी के स्पष्ट दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है।

सूत्रों के अनुसार, ट्रॉपिकल मेडिसिन जैसे विशिष्ट विषय में एनएमसी के नियमों के तहत विभाग में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर की निर्धारित भूमिका होती है। पढ़ाई, परीक्षा संचालन और पीजी छात्रों की थीसिस गाइडेंस जैसी जिम्मेदारियां केवल अधिकृत और मान्यता प्राप्त फैकल्टी को ही सौंपी जा सकती हैं। लेकिन एसएमएस मेडिकल कॉलेज में इन नियमों को नजरअंदाज कर विभाग का संचालन किया जा रहा है।

आरोप है कि विभाग के अधिकृत प्रोफेसर को जानबूझकर हाशिये पर रखा गया है और उनकी जगह अन्य फैकल्टी या गैर-अधिकृत डॉक्टरों से शैक्षणिक कार्य करवाया जा रहा है। इसमें पीजी छात्रों की क्लासेस, इंटरनल एग्जाम और यहां तक कि थीसिस का मार्गदर्शन भी शामिल है। यह न केवल एनएमसी के नियमों का उल्लंघन है, बल्कि छात्रों के भविष्य और डिग्री की वैधता पर भी सवाल खड़े करता है।

मेडिकल शिक्षा से जुड़े जानकारों का कहना है कि यदि किसी विभाग में एनएमसी के मानकों के अनुसार फैकल्टी नहीं होती या नियमों के विपरीत कार्य कराया जाता है, तो उस विभाग की मान्यता तक पर खतरा पैदा हो सकता है। इसका सीधा असर वहां पढ़ने वाले छात्रों पर पड़ता है, जिनकी डिग्री और करियर दोनों ही संकट में आ सकते हैं।

बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले को लेकर कॉलेज प्रशासन को पहले भी अवगत कराया गया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इससे यह आशंका जताई जा रही है कि पूरे मामले में उच्च स्तर पर मिलीभगत हो सकती है। कुछ फैकल्टी सदस्यों का यह भी कहना है कि नियमों की अनदेखी कर विभाग चलाना मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता है।

एनएमसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी पीजी कोर्स में थीसिस गाइड वही प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर हो सकता है, जो निर्धारित अनुभव और योग्यता रखता हो। यदि इस नियम का उल्लंघन होता है, तो एनएमसी जांच के दौरान संबंधित कॉलेज के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है, जिसमें सीटें कम करना या मान्यता रद्द करना भी शामिल है।

इस मामले के सामने आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग और एनएमसी की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि यदि समय रहते इस अनियमितता को नहीं रोका गया, तो यह मामला राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज की साख को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।