Jaipur में छह दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत, लाइटों से सजा बाजार, देखें तस्वीरें
जयपुर न्यूज़ डेस्क, महालक्ष्मी के आगमन और वैभव के प्रतीक दीपोत्सव पर्व की मंगलवार को त्रिपुष्कर योग सहित अन्य योग संयोगों में धनतेरस के साथ हुई। पर्व की खुशियां घरों से लेकर बाजारों में देखते ही बनी। महिलाओं ने घरों में दीपदान किया। भगवान गणेश और कुबेर की पूजा भी की। सुबह से ही परकोटे के प्रमुख बाजारों सहित शहर के अन्य बाजारों में रिकॉर्ड बिक्री हुई। खासतौर पर बर्तनों और पटाखों की खरीदारी के लिए रात बारह बजे तक बाजारों में भीड़ देखने को मिली।
मानसरोवर, मालवीयनगर, सीकर रोड, राजापार्क, जगतपुरा, सहित अन्य बाजारों में खरीदारी के लिए ग्राहकों में विशेष उत्साह दिखा। एल्युमिनियम, स्टील, तांबा व पीतल के बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक, ऑटोमोबाइल शोरूम, सराफा, कपड़ों की दुकानों पर देर रात तक बिक्री का सिलसिला चला। दिवाली पूजन के लिए नए-नए सोने चांदी के लक्ष्मी गणेशजी के सिक्के भी खूब बिके। दोपहिया-चौपहिया वाहनों के शोरुमों में भी सुबह से भीड़ दिखाई दी। मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में वाहनों की पूजा के लिए लोगों को कई देर तक इंतजार करना पड़ा। महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि पूजन के लिए विशेष व्यवस्था की गई। मंदिरों में विशेष रोशनी की गई। चारदीवारी के बाहर के बाजार भी दुल्हन की तरह सजे नजर आए।
सर्वार्थसिद्धि योग व हस्त नक्षत्र सहित अन्य योग संयोग में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी—चतुर्दशी पर बुधवार को रूप चतुर्दशी के निमित्त दीपदान शाम को होगा। मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए गृह लक्ष्मी गुरुवार को रूप निखारने के लिए उबटन लगाकर स्नान करेंगी। इसके लिए ब्यूटी पार्लर पर महिलाओं ने एडवांस बुकिंग करवाई है। रूप चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, काली चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। ये त्योहार लक्ष्मी जी की बड़ी बहन दरिद्रा से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों को सौंदर्य प्रदान करते हैं। पुराणों के अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारा था। इसलिए इस पर्व को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाते हैं और श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं।