Jaipur SMS में हर जगह हालात खराब, वार्ड बॉय मरीजों को प्लास्टर लगा रहे
इमरजेंसी और वार्डों में कहीं भी सीनियर डॉक्टर्स नहीं मिले। मरीजों को इमरजेंसी तक लाने के लिए ट्रॉली तक नहीं मिल रही। इसके बाद अंबरीश ने सभी अधिकारियों से एक-एक कर इनके कारण पूछे। कोई भी संतोषजनक जबाव नहीं दे सका। निरीक्षण के दौरान एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी, चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त निदेशक नरेश गोयल, एसएमएस के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी, अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. प्रदीप शर्मा, उप अधीक्षक डॉ. जगदीश मोदी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
इमरजेंसी में मरीजों के लिए न ट्रॉली ना ही ट्रॉली मैन
इमरजेंसी और वार्ड : चिकित्सा शिक्षा सचिव रात 10:15 बजे एसएमएस अस्पताल पहुंचे। भर्ती प्रक्रिया जानने के बाद इमरजेंसी पहुंचे। यहां एंबुलेंस में आने वाले मरीजों को अंदर तक लाने के लिए ट्रॉलीमैन ही नहीं थे। यहां तक कि सीनियर डॉक्टर्स भी मौके से नदारद मिले। जगह-जगह गंदगी फैली मिली। इसके बाद वार्डों में गए तो पता चला कि मरीज और उनके परिजन सर्दी से बचाव के लिए 600 रुपए तक में कंबल ला रहे थे। अधिकांश बेड पर फटी बेडशीट थी।
जनाना और गणगौरी : पूरा सिस्टम रेजिडेंट के भरोसे
जनाना अस्पताल एवं गणगौरी अस्पताल में सीनियर डॉक्टर्स ही नहीं थे और रेजिडेंट के भरोसे अस्पताल चल रहा था। इमरजेंसी में भी नर्सिंग स्टाफ ही था और काफी गंदगी पसरी हुई थी। अंबरीश ने लेबर रूम, वार्ड, नीकू पीकू सहित सभी स्थानों पर पूरी तरह से व्यवस्थाएं करने और डॉक्टर्स-नर्सिंग स्टाफ का ड्यूटी चार्ट चस्पा करने के निर्देश दिए। उन्होंने अधिकारियों को कहा कि अगले दो-तीन दिन में व्यवस्था सुधार दी जानी चाहिए।
कंबल, बेडशीट आती हैं पर मिलती नहीं
अस्पताल में मरीजों के लिए कंबल से लेकर बेडशीट तक आती हैं लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि मरीजों के ये मिलते ही नहीं हैं। सवाल यह है कि आखिर इतनी संख्या में आने वाले कंबल और बेडशीट कहां जाते हैं। जाे बेडशीट बिछी हैं, उनमें भी अधिकांश फटी हुई होती हैं। अंबरीश ने कहा कि इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सर्दी के मौसम को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार अच्छी क्वालिटी के कम्बल खरीदने के लिए कहा।
बड़ा सवाल कि आखिर मेंटेनेंस क्यों नहीं होती?
उपकरणों के मेंटेनेंस पर अंबरीश ने कहा कि समय पर मेंटेनेंस होनी ही चाहिए। छोटे कामों को विकेंद्रीकृत व्यवस्था के आधार पर पूरा किया जाए। जरूरी कार्यों के लिए बजट का कोई अभाव नहीं है। डॉक्टर एवं अन्य स्टाफ ड्यूटी टाइम में यूनिफॉर्म में रहें। मरीजों के साथ परिजनों के खाने की समुचित व्यवस्था की जाए।