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Hanumangarh में कुर्सी पर बैठे-बैठे ही गिरफ्तारी वारंट पर आपत्ति जताने लगे एसपी साहब, रवैया देख भड़कीं जज

Hanumangarh में कुर्सी पर बैठे-बैठे ही गिरफ्तारी वारंट पर आपत्ति जताने लगे एसपी साहब, रवैया देख भड़कीं जज
 
Hanumangarh में कुर्सी पर बैठे-बैठे ही गिरफ्तारी वारंट पर आपत्ति जताने लगे एसपी साहब, रवैया देख भड़कीं जज

जयपुर महानगर प्रथम की अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या 6 कल्पना पारीक की अदालत में 27 मार्च का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। अदालत कक्ष में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जो आमतौर पर केवल फिल्मों में ही देखने को मिलता है। यह मामला हनुमानगढ़ एसपी अरशद अली का था, जिन्हें पिछले एक साल से गिरफ्तारी वारंट के जरिए साक्ष्य के लिए बुलाया जा रहा था, लेकिन एसपी कोर्ट में पेश नहीं हो सके। एसपी अरशद अली जब कोर्ट में दाखिल हुए तो वह कोर्ट में कुर्सी पर बैठ गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एसपी जज कल्पना पारीक के सामने बैठ गए और अपनी गिरफ्तारी वारंट पर आपत्ति जताने लगे। जब न्यायाधीश ने उन्हें सख्ती से रोकने की कोशिश की, तो एसपी नहीं रुके और अपनी बात कहते रहे। इसके चलते न्यायाधीश कल्पना पारीक ने इसे अदालत की अवमानना ​​करार देते हुए तत्काल एसपी अरशद अली को दो घंटे की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। सूत्रों के अनुसार आदेश पारित होते ही अदालत में सन्नाटा छा गया।

एक एसपी को न्यायिक हिरासत में बैठा देखना लोगों के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं था। दो घंटे न्यायिक हिरासत में रहने के बाद जब लंच के बाद अभियोजन पक्ष की गवाही के लिए एसपी अरशद अली को बुलाया गया तो उनकी तबीयत खराब हो गई। वह घबरा गया था. उसके चेहरे पर तनाव साफ़ दिखाई दे रहा था। अदालत में पेश होने पर उन्होंने अपने व्यवहार पर खेद व्यक्त किया और कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है। न्यायाधीश ने उन्हें बैठने के लिए एक कुर्सी दी, लेकिन अदालत का रुख सख्त बना रहा।

समय की जरूरत है लेकिन कोई राहत नहीं मिल रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब एसपी अरशद अली ने स्वास्थ्य कारणों से गवाही देने के लिए समय मांगा तो जज ने साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा, 'आपको अब समय नहीं मिलेगा, पिछले एक साल से समय दिया जा रहा था।' उधर, पूरे घटनाक्रम की चर्चा कोर्ट परिसर में होने लगी। लोगों ने कहा कि इस घटना से आम आदमी का न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ेगा। इससे यह साबित हो गया कि कानून के सामने सभी समान हैं। चाहे वह आम नागरिक हो या पुलिस विभाग का वरिष्ठ अधिकारी, न्याय की गरिमा को भंग करने पर सभी को अदालत में समान रूप से जवाब देना होगा।

पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फर्जी खबर का खंडन किया
हनुमानगढ़ पुलिस ने स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया, विभिन्न समाचार चैनलों और व्हाट्सएप ग्रुपों पर प्रसारित समाचार पूरी तरह से भ्रामक और झूठा है। वास्तविक तथ्य वर्ष 2022 में एक न्यायिक मामले में हनुमानगढ़ पुलिस अधीक्षक अरशद अली को जयपुर की माननीय अदालत द्वारा तलब किया गया था। इस क्रम में वह 27 मार्च 2025 को न्यायालय में उपस्थित हुए।

सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैलाई जा रही है।
कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह झूठी खबर फैलाई जा रही है कि "हनुमानगढ़ के पुलिस अधीक्षक को अदालती कार्यवाही के दौरान दो घंटे की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया"। यह जानकारी पूरी तरह से झूठी, भ्रामक और निराधार है। इसलिए हनुमानगढ़ पुलिस अपील करती है कि भ्रामक खबरों पर विश्वास न करें तथा बिना सत्यापन के कोई भी जानकारी साझा न करें।