झालावाड़ हादसे में चौंकाने वाला खुलासा: 'छत गिर रही थी, बच्चे चिल्ला रहे थे पर मैडम ने दरवाज़ा बंद कर दिया', वीडियो में सामने आई लापरवाही की कहानी
इमारत बनाने में किसी ने लापरवाही बरती होगी, किसी ने रखरखाव का ध्यान नहीं रखा, किसी ने शिकायत को नज़रअंदाज़ किया और किसी ने गिरती छत देख रहे मासूम बच्चों की बात अनसुनी कर दी। नतीजा- राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के पिपलोदी गाँव में एक सरकारी स्कूल की छत गिरने से हुए हादसे में सात बच्चों की जान चली गई। ये उन ग़रीबों के बच्चे थे जिनके परिवार उन्हें भविष्य बदलने के लिए पढ़ने के लिए स्कूल भेजते थे।... लापरवाही, अनदेखी और अमानवीयता जैसे शब्द भी इस हादसे के ज़िम्मेदार लोगों को कठघरे में खड़ा करने के लिए काफ़ी नहीं हैं। हादसे के बाद सामने आए ग्रामीणों के बयान और भी चौंकाने वाले हैं। आइए जानते हैं..महिला ने जवाब दिया कि उन्होंने प्रशासन को सूचित किया था। इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मीना मैडम की गलती है। एक छोटा बच्चा था जिसने कहा था कि चूड़ियाँ गिर रही हैं। छत गिरने वाली है। मीना मैडम ने कमरा बंद कर दिया। इसके बाद ग्रामीणों ने कुंडी खोली, लेकिन मैडम ने नहीं खोली। मैडम बाहर ही रहीं। मैडम का नाम मीना मैडम है।' पीड़ित परिवार की महिला का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि अगर शिक्षिका ने छोटे बच्चे पर ध्यान दिया होता, तो शायद बच्चे स्कूल की इमारत से बाहर आ जाते और हादसे में उनकी जान नहीं जाती।
दूसरा बयान- अब ग्रामीणों का दूसरा बयान जान लेते हैं। बनवारी नाम के एक व्यक्ति का यह बयान मीडिया में आया है। यह वही व्यक्ति है जिसने बच्चों को मलबे से बाहर निकाला और फिर अस्पताल पहुँचाया। उसने बताया कि बच्चे बाहर भाग रहे थे। तभी शिक्षिका ने उन्हें डाँटा और अंदर भेज दिया। इसके बाद छत गिर गई। छत गिरने के बाद सभी बच्चे उसके नीचे दब गए। सभी ग्रामीण भाग गए। जो भी ईंटें बच्चों पर गिरीं, उन्होंने उन्हें उठाकर फेंक दिया। स्कूल की इमारत की शिकायत पाँच-छह दिन पहले की गई थी। छत से पानी टपक रहा था। शिक्षिका ने शिक्षकों से शिकायत की। शिकायत के बाद भी बच्चों को स्कूल में बैठाया गया। उन्होंने शिकायत को आगे नहीं बढ़ाया, कहा कि गाँव वाले ही करेंगे। गाँव वाले इमारत की मरम्मत क्यों करेंगे? यह पंचायत का काम है। यह सरकार का काम है। सरकार करेगी ही ना?' यह एक ऐसा बयान है जो बताता है कि बच्चों की मौत शिक्षकों की लापरवाही के कारण हुई है। बच्चों को खतरनाक छत के नीचे बिठाने के लिए शिक्षक ही ज़िम्मेदार हैं।
झालावाड़ स्कूल हादसा
तीसरा बयान- अब झालावाड़ ज़िला कलेक्टर अजय सिंह राठौर का बयान जानना ज़रूरी है, क्योंकि एक तरफ़ ग्रामीण स्कूल की इमारत को लेकर शिकायत कर रहे थे, लेकिन व्यवस्था में जंग लगने के कारण उनकी आवाज़ शिक्षा विभाग या कलेक्टर तक नहीं पहुँच पाई। कलेक्टर अजय सिंह राठौर ने मीडिया को दिए बयान में कहा कि शिक्षा विभाग को निर्देश दिए गए थे कि अगर ऐसा कोई स्कूल है, तो उसे बंद कर दें। इस स्कूल का नाम जर्जर इमारतों वाले स्कूलों में भी नहीं था। अब हम इस बात की जाँच करेंगे कि हादसे के क्या कारण हैं।इन तीनों बयानों से तस्वीर साफ़ हो जाती है कि बच्चों की मौत के ज़िम्मेदार कौन हैं? ग्रामीण इमारत को लेकर शिकायत कर रहे हैं। शिकायत उतनी दूर तक नहीं पहुँच रही जितनी पहुँचनी चाहिए। अब जब हादसे में बच्चों की मौत हो गई तो शिक्षा मंत्री मदन दिलावर कह रहे हैं कि 2000 स्कूलों की मरम्मत की जा रही है और हादसे के लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं।
