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Jaipur में ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में चौंकाने वाला खुलासा, पूछताछ जारी

 
Jaipur में ऑर्गन ट्रांसप्लांट मामले में चौंकाने वाला खुलासा, पूछताछ जारी 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए जारी होने वाली एनओसी के फर्जीवाड़े और अंगों के दलालों की चौंकाने वाली बातें सर्विलांस में सामने आई है। आरोपी गौरव के संपर्क में ईएचसीसी के अनिल जोशी और फोर्टिस के विनाेद सिंह के अलावा महात्मा गांधी के किशाेर, निम्स के राजू और नारायणा की निधि भी थी। शिकायतों के बाद एसीबी ने 12 मार्च से गौरव के मोबाइल को सर्विलांस पर लिया था।31 मार्च को ट्रैप से पहले तक एसीबी इनकी बातचीत के आधार पर फर्जी एनओसी की खरीद-फरोख्त की पुष्टि करने में लगी रही। बातचीत में यह भी सामने आया है कि डोनर-रिसीवर में ब्लड रिलेशन नहीं होने की स्थिति में गिरोह 6 लाख रुपए तक डिमांड करते।एसीबी जांच कर रही है कि क्या डोनर-रिसीवर अलग-अलग होने की जानकारी निजी अस्पतालों को थी क्या? रिकॉर्डिंग में गौरव दलालों से प्रिंसीपल और कमेटी के सदस्यों के नाम से भी रुपए ले रहा था।

झूठ जारी रहा और दलाली भी : ट्रांसफर होने के बाद भी प्रमोशन का कहता रहा आरोपी गौरव

12 मार्च; गौरव बोला- गिरिराज भैया... प्रिंसिपल साहब के साइन सुबह होंगे, बाकी सब के हो गए। गिरिराज- कल हो जाएंगे ना? मुझे एनओसी कब दोगे?
गौरव- सब काम हो गए हैं, केवल फोटो की जरूरत है। कविता जो बांग्लादेशी मरीज की फाइल भेजी हैं, वो किस वेंडर की है? इन मरीजों के नाम मुझे आज ही पता करने हैं। इनका किसी और के फोन से कॉल कर के पता कर लेंगे।

20 मिनट बाद; गौरव अनिल से- आपके द्वारा दिया गया काम करवा दिया है, केवल फोटो की जरूरत है।
अनिल- अमित के साथ भेजता हूं, डेट खाली रखने की बात पूछी। गौरव- हां, दस्तावेज साहब के लॉकर में हैं। अनिल- मेरी आगे बात हो गई है, मेरे पास वो आ जाएगा। मैं कल आपको दे दूंगा। आप साहब के पास मत रखना। अपने पास रखना फाइल को।

13 मार्च; विनोद बोला- अभी अमित आएगा लेने।
गौरव- कल उसमें 5 हजार कम थे। विनोद- अच्छा कम थे! कोई नहीं कर लेंगे, दिक्कत वाली बात नहीं है। गौरव- 2 फाइलें और मांग रही है वो विनोद- मैं यस करूं तब करना।

20 मार्च; अनिल गौरव से- इस केस में एक इश्यू आएगा। डोनर दिल्ली का है। दिल्ली की एनओसी, कैसे बैठेगा?
गौरव- डुप्लीकेट बने या फिर कन्वर्ट करे। इसमें पैसा तो देना ही पड़ेगा। मेरा चाहे दो या नहीं, क्योंकि मेरे में से तो आप मांगते हैं, बताओ 3.5 लाख में कैसे होगा, इनको दोगे या आप रखोगे? अनिल- अपने को फायदा नहीं तो रिस्क लेने से क्या मतलब। गौरव- ये 4 जने हैं (कमेटी वाले), अपन इनको थोड़ा कम कर सकते हैं। पिछली बार वाले में अपन ने साढ़े पांच किए थे, इस बार कम से कम चार दे देंगे। अनिल- इनको चार दे देंगे तो अपने तो कुछ बचेगा ही नहीं। गौरव- इन्हें (रिसीवर को) कम से कम छह का बोलो। अनिल- कोई कंडीशन ही नहीं, फिर तो कैंसिल करते हैं। गौरव- देख लो आप! ज्यादा से ज्यादा अपन तीन का कह सकते हैं। जब अस्पताल की करेगा तो दो ले लेना। अनिल- वो तो है ही मगर इतना नही कर पाएगा।

22 मार्च; अनिल- आपका ट्रांसफर हो गया। दिक्कत तो नहीं?
गौरव- मेरा प्रमोशन हुआ है, मेरा काम अश्विनी करेगा। मेरे नीचे रहेगा। नए सर्टिफिकेट भेज देना, पुराने तो डेस्ट्रॉय कर दूंगा। उसको कह दो खाली एड्रेस डाल दे। मैं आज ही साइन कर देता हूं। अनिल- ठीक है बॉस। गौरव- उसका पेमेंट मंगवा लेना। नहीं तो ट्रेनिंग के बाद दिक्कत आएगी। शाम को पेमेंट रेडी रखना। एनओसी लाकर दे दूंगा। अनिल- मैं तो डर गया था। काम कैसे होगा? (बधाई दी)

फोर्टिस अस्पताल से 10 फाइल और जब्त की; एसीबी की सर्च बुधवार को जारी रही। फोर्टिस अस्पताल से 10 फाइलें जब्त की गई हैं। इससे पहले फोर्टिस से 19 और ईएचसीसी से 15 फाइलें जब्त की जा चुकी। आरोपियों के कब्जे से जब्त सीपीयू, लैपटॉप व मोबाइल रिकॉर्ड लेने के लिए एफएसएल भेजे जाएंगे। 5 सदस्यीय कमेटी गठित, 15 दिन में साैंपेगी रिपाेर्ट; राज्य सरकार ने मामले में उच्चस्तरीय जांच कमेटी गठित की है। चिकित्सा शिक्षा आयुक्त इकबाल खान की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी 15 दिन में जांच रिपोर्ट पेश करेगी। एसीएस शुभ्रा सिंह ने बताया कि अधिकृत निजी अस्पतालों के रिकॉर्ड जांचेगी। इसके साथ ही राज्य स्तरीय अधिप्रमाणन समिति की कार्य प्रणाली का परीक्षण कर लाइव ट्रांसप्लांट की मॉनिटरिंग के लिए एसओपी तैयार करने और एनओसी प्रक्रिया के लिए सुझाव भी देगी।