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Jaipur संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर आयोजित हुए कई कार्यक्रम

 
Jaipur संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षक दिवस पर आयोजित हुए कई कार्यक्रम
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुरमंत्रों का उच्चारण शुद्ध और सही स्वर में होना आवश्यक है क्योंकि इनका प्रभाव उनके शब्दों की ध्वनि और विधि पर आधारित होता है। यह बात गुरुवार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में मंत्र प्रतिष्ठान द्वारा हुए शिक्षक दिवस समारोह में कुलपति प्रो. रामसेवक दुबे ने कही। उन्होंने कहा कि अगर मंत्रों का उच्चारण शुद्ध न हो तो यजमान अपेक्षित फल प्राप्त नहीं कर पाता है। उन्होंने कहा कि पुरोहितों के अशुद्ध उच्चारण के विपरीत परिणाम होते हैं, जिससे यजमान की मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पुरोहित या आचार्य को मंत्रों के अशुद्ध उच्चारण का संपूर्ण दोष लगता है। पुरोहित की जिम्मेदारी होती है कि वह शुद्धता और विधि-विधान का पालन करे। यदि वह ऐसा करने में असमर्थ है तो उसे धार्मिक और सामाजिक आलोचना का सामना करना पड़ता है और उसे पुण्य की जगह पाप का भागी माना जाता है। झाड़-फूंक और बिना शास्त्र पढ़े ही पौरोहित्य व प्रवचन करने वाले लोगों से समाज को बचना चाहिए।

वैदिक डॉ. शंभुकुमार झा ने वेदों मंत्रों के उच्चारण की उदात्त, अनुदात्त और स्वरित स्वरों को समझाया। दर्शन विभागाध्यक्ष शास्त्री कोसलेंद्रदास ने कहा कि मंत्रों के उच्चारण की शुद्धता को अत्यंत महत्व देना चाहिए। पूजा-पाठ विद्वान पुरोहितों से परामर्श लेकर उनसे ही करवाने चाहिए, ताकि धर्म व मंत्रों का सही स्वरूप प्रकट हो सके। प्रतिष्ठान के निदेशक डॉ. देवेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि लगभग डेढ़ सौ पुरोहितों को तीन चरणों में कर्मकांड की शास्त्रीय विधि का अध्यापन करवाया जा रहा है। प्रथम चरण में गणेश, अंबिका, नवग्रह व कलश पूजन, दूसरे चरण में नामकरण, अन्नप्राशन और विवाह संस्कार एवं तीसरे चरण में अंतिम संस्कार व श्राद्ध करने की पद्धति सिखाई जा रही है।कुलसचिव प्रियव्रत सिंह चारण ने कहा कि मंत्र प्रतिष्ठान के माध्यम से वैदिक शिक्षा के प्रसार की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि समारोह में वेदमूर्ति डॉ. शंभुनाथ मिश्र का अंभिनंदन किया गया। समारोह में डॉ. रामेश्वरनाथ द्विवेदी, डॉ. शशिकुमार शर्मा और डॉ. खुशबू शर्मा सहित अनेक शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।