राजस्थान में पकड़े गए जासूस पठान खान को लेकर सनसनीखेज खुलासा, ऐसे करता था बॉर्डर इलाकों की रेकी

पहलगाम हमले के बाद राजस्थान पुलिस की खुफिया शाखा की गिरफ्त में आया पाकिस्तानी जासूस पठान खान पिछले 12 साल से पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहा था। जासूसी के आरोपी पठान खान को जैसलमेर से गिरफ्तार कर जयपुर लाया गया है। यहां सुरक्षा एजेंसियां संयुक्त रूप से उससे गहन पूछताछ कर रही हैं। जैसलमेर के मोहनगढ़ निवासी पठान खान को 6 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। पठान खान 3 बार पाकिस्तान जा चुका है। वह लोकल बस में यात्री बनकर सीमावर्ती इलाके में जासूसी करता था। राजस्थान पुलिस की खुफिया शाखा के अधिकारियों के अनुसार पठान खान अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास संदिग्ध गतिविधियों के चलते निगरानी में आया था। उसके कई बार विजिट वीजा पर राजस्थान से पाकिस्तान जाने और उसकी लाइफ स्टाइल में आए बदलाव की जानकारी खुफिया विभाग को मिली थी। गहन पूछताछ में पता चला कि पठान खान पहली बार 2010 में अपने रिश्तेदार से मिलने विजिट वीजा पर पाकिस्तान गया था।
पठान खान को पैसों का लालच दिया गया
वहां उसकी मुलाकात आईएसआई हैंडलर्स से हुई। बातचीत के दौरान उसका ब्रेनवॉश किया गया। इसके बाद उसे भारतीय सेना की रणनीतिक जानकारी देने के लिए तैयार किया गया। बदले में आईएसआई ने पठान खान को पैसों का लालच दिया। उसे एक मोबाइल फोन दिया गया। साथ ही रणनीतिक महत्व की सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भारतीय नंबरों वाला मोबाइल फोन सिम कार्ड भी मुहैया कराया गया।
सबूत मिटाने की ट्रेनिंग भी दी गई
जांच में यह भी पता चला कि पठान खान 2010, 2013 और 2018 में विजिट वीजा पर पाकिस्तान गया था। वह हर बार रिश्तेदारों से मिलने के बहाने गया था। पाकिस्तान जाने के बाद उसे आईएसआई अफसरों और हैंडलर्स ने जासूसी की ट्रेनिंग दी। इसमें मोबाइल फोन से फोटो वीडियो बनाना। उन्हें सोशल मीडिया के जरिए आईएसआई एजेंटों को भेजना। साथ ही कौन सी जानकारी पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी के साथ साझा करनी है। उसे यह भी ट्रेनिंग दी गई कि सूचनाओं के आदान-प्रदान के बाद सबूत कैसे मिटाए जाएं।
मोबाइल फोन से लाइव रिकॉर्डिंग करता था
राजस्थान इंटेलिजेंस की पूछताछ में पता चला है कि पठान खान सीमावर्ती इलाकों में सूचनाएं जुटाने के लिए लोकल बसों में सफर करता था। बसों में सफर करते समय वह अपने मोबाइल फोन से लाइव रिकॉर्डिंग पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के एजेंटों को शेयर करता था ताकि सीमावर्ती इलाकों से इनपुट मिल सके। वह बातचीत के बहाने बड़ी चालाकी से मोबाइल फोन से रिकॉर्डिंग करता था ताकि किसी को उस पर शक न हो। इसके बदले में उसे किश्तों में मोटी रकम दी जाती थी।