बार-बार तबादलों से परेशान वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, हाईकोर्ट से सहानुभूतिपूर्वक विचार के निर्देश
वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता द्वारा बार-बार किए जा रहे तबादलों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। न्यायाधीश गुप्ता ने लगातार तबादलों से उत्पन्न असुविधा और मानसिक दबाव को लेकर शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश से इस विषय पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह एक प्रशासनिक मामला जरूर है, लेकिन इससे संबंधित अधिकारी की गरिमा, कार्यक्षमता और व्यक्तिगत परिस्थितियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि इस मामले पर निर्णय लेते समय हाईकोर्ट के प्रशासनिक मामलों से संबंधित न्यायाधीशों की समिति से परामर्श किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने उम्मीद जताई कि यह प्रक्रिया पारदर्शी और संतुलित होगी, जिससे न्यायिक अधिकारी के हितों की भी रक्षा हो सके।
कोर्ट ने यह भी कहा कि बेहतर होगा यदि इस पूरे मामले में दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले लिया जाए, ताकि अनावश्यक अनिश्चितता समाप्त हो और न्यायिक कार्य प्रभावित न हो। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी न्यायपालिका के भीतर प्रशासनिक फैसलों में मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
गौरतलब है कि वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि अल्प समय में बार-बार तबादले होने से न केवल पारिवारिक और व्यक्तिगत परेशानियां बढ़ती हैं, बल्कि न्यायिक कार्यों की निरंतरता और गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
न्यायिक हलकों में इस मामले को लेकर चर्चा तेज है। जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी भविष्य में न्यायिक अधिकारियों के तबादलों से जुड़े मामलों में एक महत्वपूर्ण नजीर साबित हो सकती है। इससे यह संदेश भी गया है कि प्रशासनिक निर्णय लेते समय न्यायिक अधिकारियों की परिस्थितियों और सम्मान का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
अब सभी की निगाहें राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक समिति के निर्णय पर टिकी हैं, जो तय करेगा कि वरिष्ठ न्यायाधीश के तबादले को लेकर आगे क्या रुख अपनाया जाता है।
