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खुफिया सुरंगें, तोपें और तहखाने वायरल वीडियो में जाने जयगढ़ किले के वो रहस्य जो इतिहासकार भी नहीं सुलझा पाए

खुफिया सुरंगें, तोपें और तहखाने वायरल वीडियो में जाने जयगढ़ किले के वो रहस्य जो इतिहासकार भी नहीं सुलझा पाए
 
खुफिया सुरंगें, तोपें और तहखाने वायरल वीडियो में जाने जयगढ़ किले के वो रहस्य जो इतिहासकार भी नहीं सुलझा पाए

राजस्थान की वीर भूमि पर बसे जयपुर शहर में स्थित जयगढ़ किला न केवल अपनी भव्यता और सैन्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि उस रहस्यमय खजाने के लिए भी चर्चा में रहता है, जिसकी गूंज आज भी इतिहास और किंवदंतियों में सुनाई देती है। अरावली की पहाड़ियों पर बसा यह किला आमेर किले के पास स्थित है और इसे "विजय दुर्ग" भी कहा जाता है। 1726 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया यह किला कभी राजपूतों की रक्षा पंक्ति हुआ करता था। लेकिन इसके भीतर छुपे खजाने की कहानियां इसे और भी रहस्यमयी बना देती हैं।

क्या सच में यहां छिपा है अकूत खजाना?

जनश्रुतियों और लोककथाओं के अनुसार, जयगढ़ किले के भीतर एक विशाल खजाना छिपा हुआ है, जो संभवतः भारत के सबसे बड़े गुप्त खजानों में से एक हो सकता है। यह खजाना मुग़ल सम्राटों द्वारा लाए गए युद्ध लूट से जुड़ा बताया जाता है, खासकर औरंगज़ेब के शासनकाल के समय का। कहा जाता है कि औरंगज़ेब के बेटे शाह आलम ने खजाना जयगढ़ में छिपा दिया था ताकि वह सुरक्षित रह सके।इतिहासकारों की मानें तो यह खजाना अरबों की कीमत का हो सकता है जिसमें सोने, चांदी, हीरे, जवाहरात और दुर्लभ हथियार शामिल हो सकते हैं। हालांकि यह सब बातें अब तक अपुष्ट हैं, क्योंकि आज तक उस खजाने का कोई प्रमाणिक सुराग नहीं मिल पाया है।

इमरजेंसी में हुई थी सीक्रेट खोजबीन

जयगढ़ किले में छिपे खजाने की चर्चा उस वक्त और तेज हो गई जब 1977 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासनकाल के दौरान किले की गहन खुदाई और खोजबीन की गई। सेना, खुफिया एजेंसियों और सरकारी अधिकारियों की एक टीम ने किले के भीतर कई सुरंगों और तहखानों की जांच की, लेकिन आधिकारिक रूप से उन्हें कुछ भी नहीं मिला। हालाँकि इस जांच को लेकर अब भी कई सवाल उठते हैं—क्या सच में कुछ मिला था जो छुपा लिया गया, या फिर ये सब केवल अफवाहें थीं?

जयगढ़ की रहस्यमयी सुरंगें

जयगढ़ किला अपनी रहस्यमयी सुरंगों और तहखानों के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि किले के नीचे गुप्त सुरंगों का जाल फैला हुआ है, जो इसे आमेर किले से भी जोड़ता है। इन सुरंगों की असली संरचना और गहराई आज तक एक रहस्य बनी हुई है क्योंकि इनमें से कई हिस्से अब बंद कर दिए गए हैं या फिर समय के साथ भर चुके हैं। ये सुरंगें ही वह रास्ते माने जाते हैं जिनके जरिये खजाना छिपाया गया होगा।

दुनिया की सबसे बड़ी तोप और सुरक्षा इंतज़ाम

जयगढ़ किला न केवल खजाने के लिए, बल्कि यहां रखी गई "जयवाना तोप" के लिए भी प्रसिद्ध है, जो दुनिया की सबसे बड़ी चलायमान तोपों में से एक मानी जाती है। इस तोप ने कभी युद्ध में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन इसकी मौजूदगी ही इस किले की सैन्य शक्ति को दर्शाने के लिए काफी है।

आज भी बना हुआ है रहस्य

जयगढ़ किले का खजाना आज भी लोगों की कल्पनाओं और लोककथाओं में जीवित है। कई स्थानीय लोग मानते हैं कि खजाना अब भी कहीं न कहीं छिपा हुआ है और सिर्फ वक्त ही बताएगा कि कभी वो दुनिया के सामने आएगा या नहीं। वहीं इतिहासकार और पुरातत्वविद् इस बात को लेकर आज भी शोध कर रहे हैं कि क्या वाकई खजाना था, या ये सब केवल एक गहरी साजिश या भ्रम था?एक ओर जहां जयगढ़ किला भारत के वैभवशाली अतीत और युद्ध-कौशल का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर इसके तहखानों में छुपा रहस्य आज भी रोमांच पैदा करता है। खजाना मिले या न मिले, लेकिन जयगढ़ की कहानी सुनने वालों की कल्पना को जरूर जगाए रखती है।