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Sawan 2025: सावन के महीने में जरूर करे इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन, महादेव के आशीर्वाद से दूर होंगे सारे कष्ट

 
Sawan 2025: सावन के महीने में जरूर करे इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों के दर्शन, महादेव के आशीर्वाद से दूर होंगे सारे कष्ट 

सावन माह की शुरुआत होते ही राजस्थान के कोने-कोने में स्थित महादेव मंदिरों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है। भगवान शिव को समर्पित यह महीना उनकी आराधना के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। इस दौरान राज्य के विभिन्न शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, अभिषेक और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया गया। जिसमें लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचे और महादेव का दूध, चीनी, पंचामृत और गंगाजल से अभिषेक किया गया। आइए जानते हैं राजस्थान के उन प्रमुख महादेव मंदिरों के बारे में, जहाँ सावन में विशेष पूजा-अर्चना का विधान है और जहाँ सावन माह में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

एकलिंगजी महादेव मंदिर, उदयपुर
उदयपुर से लगभग 22 किलोमीटर दूर कैलाशपुरी में स्थित यह मंदिर मेवाड़ राजवंश के आराध्य देव भगवान एकलिंगजी को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में बप्पा रावल ने करवाया था। बाद में, 15वीं शताब्दी में महाराणा रायमल ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। यह भव्य मंदिर अपनी चतुर्मुखी काले संगमरमर की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जो भगवान शिव के चार रूपों (सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र) का प्रतिनिधित्व करती है। यहाँ की कलात्मक नक्काशी और शांत वातावरण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर सुबह 5:30 बजे से रात 8:00 बजे तक बंद रहता है। यहाँ मुख्य मंदिर के गर्भगृह में आम दर्शनार्थियों का प्रवेश वर्जित है, लेकिन ट्रस्ट से अनुमति लेकर प्रवेश किया जा सकता है।

घुश्मेश्वर महादेव मंदिर, सवाई माधोपुर

सवाई माधोपुर जिले के शिवाड़ में स्थित घुश्मेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि घुश्मा नामक एक ब्राह्मणी की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे अपने नाम से यहाँ विराजमान होने का वरदान दिया था। यह मंदिर कितना पुराना है, यह आज तक ज्ञात नहीं हो सका है। शिव पुराण में वर्णित इस मंदिर का विशेष महत्व है। दूर-दूर से भक्त अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए यहाँ आते हैं, खासकर सावन के महीने में यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। कहा जाता है कि घुश्मा प्रतिदिन 108 मिट्टी के शिवलिंगों की पूजा करके उन्हें इसी तालाब में विसर्जित करती थीं। वर्षों पहले इस तालाब की खुदाई के दौरान मिले हजारों शिवलिंगों से भी यह बात प्रमाणित होती है। इस ट्रस्ट का पंजीकरण देवस्थान विभाग में मार्च 1988 में हुआ था।

अचलेश्वर महादेव मंदिर, माउंट आबू

माउंट आबू के प्रसिद्ध अचलगढ़ किले के बाहर स्थित यह मंदिर एक अनोखा शिव मंदिर है। इसे दुनिया का पहला ऐसा मंदिर माना जाता है जहाँ भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। यहाँ शिवलिंग प्राकृतिक रूप से पत्थर से बना है और नंदी की मूर्ति पंचधातु से बनी है। इस मंदिर का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है।

ताड़केश्वर महादेव मंदिर, जयपुर

जयपुर शहर के चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि यह मंदिर जयपुर की स्थापना से भी पुराना है। यहाँ भक्तों की गहरी आस्था है और खासकर हर सोमवार को यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

देव सोमनाथ मंदिर, डूंगरपुर

माही और सोम नदियों के संगम पर स्थित देव सोमनाथ मंदिर, डूंगरपुर जिले का एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यह प्राचीन शिव मंदिर अपनी शांत आभा और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। राजस्थान के ये महादेव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के भी प्रतीक हैं। सावन के इस पवित्र महीने में भक्त इन मंदिरों में दर्शन कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन को धन्य बनाते हैं।