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सरिस्का जहाँ बाघों की दहाड़ और इतिहास चलते है एकसाथ, वीडियो में देखे एक ओर जंगल का रोमांच दूसरी ओर औरंगजेब की साजिश की दास्तां

सरिस्का जहाँ बाघों की दहाड़ और इतिहास चलते है एकसाथ, वीडियो में देखे एक ओर जंगल का रोमांच दूसरी ओर औरंगजेब की साजिश की दास्तां
 
सरिस्का जहाँ बाघों की दहाड़ और इतिहास चलते है एकसाथ, वीडियो में देखे एक ओर जंगल का रोमांच दूसरी ओर औरंगजेब की साजिश की दास्तां

राजस्थान का सरिस्का टाइगर रिजर्व न सिर्फ वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि इतिहास और रहस्य में रुचि रखने वालों के लिए भी यह स्थान एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। अरावली की पहाड़ियों में बसा यह अभयारण्य, जयपुर से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां का वातावरण पर्यटकों को रोमांच, शांति और खोज के एक अद्वितीय मिश्रण का अनुभव कराता है। सरिस्का में स्थित कंकवाड़ी किला (Kankwari Fort), इसी रहस्यमयता और ऐतिहासिकता की एक अनमोल मिसाल है, जो आज भी कई कहानियों को अपने भीतर समेटे हुए है।


सरिस्का: जंगल जहां बाघ और इतिहास साथ चलते हैं
सरिस्का टाइगर रिजर्व की स्थापना 1955 में एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गई थी, जिसे 1978 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला। यह रिजर्व 866 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यहां बाघों के अलावा तेंदुआ, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सूअर और कई तरह के पक्षी भी देखने को मिलते हैं।लेकिन सरिस्का केवल बाघों के लिए ही नहीं जाना जाता। इसकी गहराइयों में छिपे हैं प्राचीन मंदिर, झीलें, और सबसे दिलचस्प – कंकवाड़ी किला, जो इस टाइगर रिजर्व के मध्य में स्थित है।

कंकवाड़ी किला: जंगल के बीच खड़ा ऐतिहासिक किला
कहते हैं कि कंकवाड़ी किला 17वीं सदी में मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब द्वारा बनवाया गया था। इस किले को उस समय मुराद बख़्श, औरंगज़ेब के भाई, को बंदी बनाकर रखने के लिए इस्तेमाल किया गया था। बाद में मुराद की हत्या कर दी गई और यह किला वीरान होता चला गया। अब यह एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सरिस्का के घने जंगलों में खड़ा है, जो पर्यटकों को इतिहास और प्रकृति का अद्भुत संगम प्रदान करता हैकिले तक पहुँचने का रास्ता बेहद रोमांचक है। एक तरफ बाघों की उपस्थिति और दूसरी तरफ वीरान खंडहरों की रहस्यमयता—यह सब मिलकर इस जगह को और भी दिलचस्प बना देते हैं। यहां से पूरे सरिस्का घाटी का दृश्य दिखाई देता है, जो फोटोग्राफर्स और ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग जैसा है।

क्यों है यह जगह खास?
सरिस्का और कंकवाड़ी किले का मेल अपने आप में अनोखा है। जहां एक ओर यह जंगल भारत के कुछ गिने-चुने ऐसे टाइगर रिजर्व में से है जहां बाघों का पुनर्स्थापन सफलतापूर्वक किया गया, वहीं दूसरी ओर कंकवाड़ी किला एक ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में खड़ा है जो मुग़ल राजनीति और सत्ता संघर्ष की गवाही देता है।यहां आने वाले पर्यटक एक दिन के ट्रिप में जंगल सफारी के साथ-साथ किले तक ट्रेकिंग का आनंद भी ले सकते हैं। हालांकि, किले तक जाने के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी होती है क्योंकि यह क्षेत्र बाघों के मूवमेंट का हिस्सा है।

पर्यावरण और विरासत का मिलन
सरिस्का और कंकवाड़ी किला एक साथ हमें यह सिखाते हैं कि कैसे प्रकृति और इतिहास मिलकर हमारी सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करते हैं। यह जगह उन लोगों के लिए एक आदर्श स्थल है जो प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ ऐतिहासिक खोज में भी रुचि रखते हैं।अगर आप अगली बार राजस्थान की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो सरिस्का टाइगर रिजर्व और कंकवाड़ी किले को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें। यह अनुभव आपको रोमांच, ज्ञान और स्मृतियों से भर देगा।