Sachin Pilot's Jan Sangharsh Yatra:सचिन ने प्लानिंग के साथ गहलोत-वसुंधरा के खिलाफ खोला मोर्चा
जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान कांग्रेस के बिखराव को रोक पाने में अब कद्दावर नेता भी खुद को असहाय महसूस करने लगे हैं. यही वजह है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान आने पर जिन गुटों ने एकजुटता का परचम बुंलद किया था, वो ही गुट अब राहुल गांधी के माउंट आबू दौरे के दौरान ही एक-दूसरे के खिलाफ जमकर मोर्चा खोले हुए हैं. सचिन पायलट ने तो दौरे के दिन ही गहलोत का नेता सोनिया गांधी के बजाए वसुंधरा राजे को बता दिया.पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अब सीएम गहलोत के खिलाफ बिना लाग-लपेट के मोर्चा खोल दिया है. पायलट ने पहली बार खुले तौर पर माना कि 2020 में कई विधायक और वे राजस्थान का नेतृत्व बदलना चाहते थे. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इशारों-इशारों में ही सचिन पायलट पर तीख हमला बोला था. सरकार बचाने में वसुंधरा राजे के योगदान की बात करके गहलोत ने नया बवाल खड़ा कर दिया है.
कांग्रेस को आंखें और ताकत दिखा रहे पायलट
दरअसल, सचिन पायलट ने पूरी प्लानिंग के साथ सीएम अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ एक साथ मोर्चा खोल दिया है. पांच साल से सीएम बनने की जंग लड़ रहे पायलट अब सांस रोककर कदम बढ़ा रहे हैं. ताकि अगले विधानसभा चुनाव के बाद उनकी राजनीतिक उड़ान की लैंडिंग मुख्यमंत्री की कुर्सी पर हो. यही वजह है कि अब उन्होंने अपने दोनों हाथों में लड्डू पकड़े हुए हैं। कांग्रेस आंख और ताकत एक साथ दिखा रही है। अगर कांग्रेस से सीएम की कुर्सी की 'सीधी उंगली' से पूरी नहीं हुई तो दूसरी पार्टियों के सीएम के 'ऑफर' की पोल खुल सकती है.
राजस्थान में राहुल, गहलोत पर बरसे सचिन
राजस्थान में राहुल गांधी की मौजूदगी वाले दिन ही सचिन पायलट ने सीधे सीएम के खिलाफ प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है. इतना ही नहीं वह 11 मई से अजमेर से जयपुर पदयात्रा भी करने जा रहे हैं। कहने को तो यह लगातार पेपर लीक और भ्रष्टाचार के खिलाफ है। लेकिन पायलट पहले ही पेपर लीक के लिए सरकार और उसके सिस्टम को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं। इसलिए राजस्थान में राहुल की मौजूदगी का पायलट पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने गहलोत पर खुलकर आरोप लगाया. मानेसर विद्रोह से अब तक हर सवाल का करारा जवाब दिया।
'ऑफर्स' के बीच पायलट की सोची-समझी रणनीति
सचिन पायलट का एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाना और 11 मई की पदयात्रा की घोषणा करना 11 अप्रैल के अनशन की अगली कड़ी है और इसे सोची समझी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. सूत्र बताते हैं कि आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल ने पायलट को राजस्थान में आम आदमी पार्टी में शामिल होने पर 2023 में उन्हें सीएम चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने का 'ऑफर' दिया है। वहीं आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने भी सचिन पायलट से कांग्रेस छोड़कर नई पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की बात कही है.
कांग्रेस 'कार्रवाई' करेगी तो उसे जनता की सहानुभूति मिलेगी
राजनीतिक जानकारों का भी मानना है कि पायलट जनता की सहानुभूति और नैरेटिव सेट करने में लगे हैं. इसी रणनीति के तहत राज्य में विधानसभा चुनाव से छह-सात महीने पहले सचिन चौतरफा लड़ाई के मूड में हैं और दो विकल्पों पर चल रहे हैं. सबसे पहले, कांग्रेस आलाकमान को या तो पायलट को राजस्थान में फ्री हैंड देना चाहिए और उन्हें सीएम चेहरे के रूप में पेश करना चाहिए। या फिर दूसरे विकल्प में पार्टी खुद उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। इससे जनता में यह संदेश जाएगा कि अगर पार्टी ने पायलट पर कार्रवाई की तो उन्हें बड़ा कदम उठाना पड़ा। शायद यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी अब भी पायलट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने से कतरा रही है.
