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2.52 करोड़ की लागत से होगा रामगढ़ बांध का सौंदर्यीकरण, स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ

2.52 करोड़ की लागत से होगा रामगढ़ बांध का सौंदर्यीकरण, स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ
 
2.52 करोड़ की लागत से होगा रामगढ़ बांध का सौंदर्यीकरण, स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ

जयपुर के रामगढ़ बांध में पानी लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, लेकिन इससे पहले बांध की मरम्मत और सौंदर्यीकरण किया जाएगा। जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत शुक्रवार को बांध के तटबंध पर इस कार्य का शिलान्यास करेंगे। लगभग 2.52 करोड़ रुपये की लागत से यह कार्य एक वर्ष के भीतर पूरा करने का लक्ष्य है। इस परियोजना के तहत बांध के तटबंध पर दो किलोमीटर लम्बी क्षतिग्रस्त सड़क की मरम्मत की जाएगी तथा बजट घोषणा के अनुसार पैरापेट दीवार का निर्माण भी किया जाएगा।

रामगढ़ बांध को ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) के तहत ईसरदा बांध से जोड़ा जाएगा, जिससे 13 जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा और जल संसाधन में सुधार होगा। यह परियोजना न केवल जल संकट को दूर करेगी बल्कि क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। पिछले कुछ वर्षों में रामगढ़ बांध में पानी आना शुरू हो गया है, जिससे सूखे पड़े बांध में पानी की कमी दूर हो गई है।

रामगढ़ बांध, राम जल सेतु लिंक परियोजना (संशोधित पीकेसी-ईआरसीपी) के अंतर्गत ईसरदा बांध से जुड़ा हुआ है। इस परियोजना का उद्देश्य रामगढ़ बांध को पानी उपलब्ध कराना है, जिससे क्षेत्र के जल संसाधनों में सुधार होगा। दोनों बांधों के बीच की दूरी लगभग 120 किलोमीटर है, जो नहर मार्ग के आधार पर मापी गई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए तैयारियां चल रही हैं, ताकि रामगढ़ बांध में पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।

इस परियोजना के अंतर्गत 35 किलोमीटर तक नहर बिछाई जाएगी तथा शेष 85 किलोमीटर तक पाइपलाइन बिछाई जाएगी। जब बांध में पानी आएगा तो इससे लगभग 3.50 लाख लोगों को जलापूर्ति सुनिश्चित होगी। यह परियोजना न केवल जल संसाधनों में सुधार करेगी बल्कि क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ और पर्याप्त जल उपलब्ध कराने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

बांधों के बारे में यह जानना भी जरूरी है...

निर्माण: यह बांध रियासत काल के दौरान 1903 में बाणगंगा नदी पर बनाया गया था।

अपवाह क्षेत्र: इसका अपवाह क्षेत्र 841.14 वर्ग किमी है, जो जमवारामगढ़, आमेर, शाहपुरा एवं विराटनगर तक फैला हुआ है।

भराव क्षमता: इसकी कुल भराव क्षमता 75.04 मिलियन घन मीटर है।

उद्देश्य: 1978 में राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि इस बांध के पानी का उपयोग केवल पीने के लिए किया जाएगा।