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राजस्थान लोक सेवा आयोग को मिला नया चेयरमैन, पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू की नियुक्ति

राजस्थान लोक सेवा आयोग को मिला नया चेयरमैन, पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू की नियुक्ति
 
राजस्थान लोक सेवा आयोग को मिला नया चेयरमैन, पूर्व पुलिस महानिदेशक उत्कल रंजन साहू की नियुक्ति

लंबे समय बाद राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) को नया चेयरमैन मिल गया है। पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) उत्कल रंजन साहू को राजस्थान लोक सेवा आयोग का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति उस समय हुई है जब आयोग की साख लगातार आलोचनाओं और विवादों के घेरे में रही है। साहू की नियुक्ति को लेकर विभिन्न वर्गों में प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं, लेकिन उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता को ध्यान में रखते हुए, यह कदम एक नया मोड़ साबित हो सकता है।

आयोग की साख पर सवाल

राजस्थान लोक सेवा आयोग ने कई वर्षों से प्रशासनिक नियुक्तियों और परीक्षाओं को लेकर गंभीर विवादों का सामना किया है। कई बार आयोग पर परीक्षा के परिणामों में धांधली, अनियमितताएं और भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। इसके अलावा, उम्मीदवारों और छात्रों के विरोध प्रदर्शन भी आयोग के खिलाफ होते रहे हैं। ऐसे समय में, जब आयोग की साख दांव पर लगी हुई थी, साहू की नियुक्ति एक सकारात्मक बदलाव के रूप में देखी जा रही है।

उत्कल रंजन साहू की प्रोफाइल

उत्कल रंजन साहू एक अनुभवी और कड़े प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं, जिन्होंने पुलिस महानिदेशक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण पहल की थीं। उनके नेतृत्व में पुलिस विभाग ने कई जटिल मामलों को सुलझाया और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए। उनकी ईमानदारी, कार्य क्षमता और अनुशासन को लेकर उनका नाम सम्मान से लिया जाता है।

अब जब वे राजस्थान लोक सेवा आयोग के चेयरमैन के रूप में कार्यभार संभालेंगे, तो उम्मीद जताई जा रही है कि वे आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार और पारदर्शिता लाने के लिए कदम उठाएंगे। उनके कार्यकाल में आयोग के फैसलों को लेकर विश्वास और भरोसा बहाल हो सकता है।

आयोग की चुनौतियां और उम्मीदें

राजस्थान लोक सेवा आयोग की कार्यप्रणाली में सुधार लाना उत्कल रंजन साहू के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। आयोग के पिछले विवादों और आलोचनाओं के कारण उम्मीदवारों और आम जनता का विश्वास हिल चुका है। ऐसे में उनका सबसे बड़ा लक्ष्य आयोग में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही लाना होगा। इसके अलावा, परीक्षा प्रणाली और परिणामों में सुधार के लिए भी उन्हें ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि राजस्थान के युवा वर्ग का भरोसा फिर से बहाल किया जा सके।