Rajasthan Politics: झालावाड़ स्कूल हादसे पर कांग्रेस-भाजपा आमने-सामने, खाचरियावास ने की मंत्री का इस्तीफे की मांग
झालावाड़ के पिपलोदी में स्कूल की इमारत गिरने के मामले में राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर से इस्तीफ़ा माँगा है। दिलावर ने कहा कि स्कूल की छत गिरने से 4 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई। कुछ बच्चे घायल हुए हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। मैंने ज़िला शिक्षा अधिकारी को सभी तरह की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। सभी बच्चों का इलाज सरकारी खर्चे पर हो। इस घटना की उच्चस्तरीय जाँच होगी। शिक्षा मंत्री ने कहा, "यह हादसा असल में क्यों हुआ, छत क्यों गिरी? मैंने सभी अधिकारियों को मौके पर पहुँचकर हर तरह की मदद करने के निर्देश दिए हैं।" कांग्रेस ने स्कूल भवनों पर ध्यान नहीं दिया- दिलावर
उन्होंने कहा, "कांग्रेस द्वारा लगाए गए लापरवाही के आरोपों पर मदन दिलावर ने कहा कि कांग्रेस के पापों का खामियाजा हमें भुगतना पड़ा है। क्योंकि उन्होंने भवनों पर ध्यान नहीं दिया। अब हम चरणबद्ध तरीके से सभी भवनों की मरम्मत करवा रहे हैं। एक साथ सभी भवनों की मरम्मत करवाना संभव नहीं है।" खाचरियावास ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों की रिपोर्ट हर तीसरे महीने शिक्षा विभाग को देनी होती है, जिसे शिक्षा मंत्री खुद देखते हैं। जर्जर स्कूलों की मरम्मत करवाई जाती है, उन्होंने एक भी स्कूल पर एक रुपया खर्च नहीं किया। उन्हें बेकार की बातें करने से फुर्सत नहीं है। मुख्यमंत्री को खुद वहाँ जाना चाहिए, उन्हें देखना चाहिए कि भविष्य में ऐसा हादसा न हो।
खाचरियावास का सवाल- क्या 2 साल बाद भी हम ज़िम्मेदार हैं?
उन्होंने सवाल किया कि शिक्षा मंत्री ने स्कूल की रिपोर्ट क्यों नहीं देखी, जबकि उनकी सरकार को दो साल हो गए हैं? कौन ज़िम्मेदार है, यह तय होना चाहिए। सवाल राजनीति का नहीं, जवाबदेही का है। आज भाजपा की सरकार है, इसलिए उन्हें जवाब देना ही होगा। क्या 2 साल बाद भी आप हमें ज़िम्मेदार कहेंगे? दिन भर कांग्रेस का नाम लेने से राजस्थान ठीक नहीं होगा। अब जब आपकी सरकार है, तो मरने वालों को 1-1 करोड़ रुपये दीजिए। वहाँ गरीब परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष डोटासरा ने भी उठाए सवाल
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, "यह आरोप-प्रत्यारोप का मामला नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि जिन बच्चों की मौत हुई है, उनकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? क्या शिक्षा मंत्री और सरकार के पास पहले से ऐसी जर्जर इमारतों की सूची नहीं थी? अगर नहीं, तो क्यों नहीं? अगर थी, तो उसकी मरम्मत क्यों नहीं कराई गई? चरणबद्ध तरीके से काम करने का क्या मतलब है? एक साल पास करवाएँगे, अगले साल काम करेंगे? हमारे बच्चे मरे हैं। सरकार को ऐसी बातें कहकर बच निकलना नहीं चाहिए।"
