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भारत-पाक सीमा पर एयरबेस निर्माण का रास्ता साफ, फुटेज में जानें राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज की किसानों की याचिका

भारत-पाक सीमा पर एयरबेस निर्माण का रास्ता साफ, फुटेज में जानें राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज की किसानों की याचिका
 
भारत-पाक सीमा पर एयरबेस निर्माण का रास्ता साफ, फुटेज में जानें राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज की किसानों की याचिका

राजस्थान से लगती भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण एयरबेस निर्माण का रास्ता अब पूरी तरह साफ हो गया है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) नाम दिया गया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने श्रीगंगानगर जिले में प्रस्तावित एयरबेस के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली किसानों की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद सीमा क्षेत्र में फॉरवर्ड कंपोजिट एविएशन बेस के निर्माण की प्रक्रिया को बड़ी कानूनी मजबूती मिली है।

यह मामला श्रीगंगानगर जिले की सादुलशहर तहसील से जुड़ा है, जहां एयरबेस के लिए बड़े पैमाने पर जमीन अधिग्रहण किया जा रहा है। इस अधिग्रहण के विरोध में 58 किसानों और जमीन मालिकों ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि उनकी जमीन बिना उचित प्रक्रिया और सहमति के ली जा रही है, जिससे उनके आजीविका के अधिकार प्रभावित होंगे।

मामले की सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर की जस्टिस डॉ. नूपुर भाटी की एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने रिपोर्टेबल जजमेंट में स्पष्ट शब्दों में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं में व्यक्तिगत हितों की तुलना में जनहित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अदालत ने माना कि यह परियोजना देश की सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है और ऐसे मामलों में राज्य को विशेष अधिकार प्राप्त होते हैं।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रस्तावित एयरबेस भारत-पाक सीमा की सुरक्षा को मजबूत करेगा और आपात स्थिति में वायुसेना की त्वरित तैनाती को संभव बनाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया कानून के तहत की गई है और सरकार ने आवश्यक औपचारिकताओं का पालन किया है। इसलिए इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।

बताया जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत बनने वाला यह एयरबेस सीमावर्ती इलाके में भारतीय वायुसेना की रणनीतिक क्षमता को बढ़ाएगा। यह बेस न केवल सुरक्षा दृष्टि से अहम होगा, बल्कि आपदा प्रबंधन और निगरानी अभियानों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, पश्चिमी सीमा पर इस तरह के फॉरवर्ड बेस से भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूती मिलेगी।

हालांकि, किसानों की ओर से इस फैसले पर असंतोष भी सामने आया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे अपनी जमीन और पुनर्वास से जुड़े मुद्दों को लेकर आगे अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। वहीं, प्रशासन का कहना है कि प्रभावित किसानों को नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा।