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राजस्थान में एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज को लेकर नई गाइडलाइन, फुटेज में जानें सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज अनिवार्य

राजस्थान में एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज को लेकर नई गाइडलाइन, फुटेज में जानें सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज अनिवार्य
 
राजस्थान में एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज को लेकर नई गाइडलाइन, फुटेज में जानें सरकारी के साथ निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज अनिवार्य

राजस्थान में एसिड अटैक पीड़ितों को लेकर राज्य सरकार ने बड़ा और अहम फैसला लिया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से एसिड अटैक में घायल व्यक्तियों के इलाज के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। इस गाइडलाइन के तहत अब प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों को भी एसिड अटैक पीड़ितों का निःशुल्क इलाज करना अनिवार्य होगा।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव की ओर से जारी इस नई गाइडलाइन में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई निजी अस्पताल एसिड अटैक से पीड़ित व्यक्ति का इलाज करने से इनकार करता है, तो उसके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार का यह कदम पीड़ितों को समय पर इलाज और न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है।

विभाग द्वारा जारी सर्कुलर में सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण आदेशों का हवाला दिया गया है। इन आदेशों में साफ तौर पर कहा गया है कि एसिड अटैक पीड़ितों को बिना किसी देरी और भेदभाव के तत्काल और मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए। सर्कुलर में यह भी उल्लेख किया गया है कि इलाज से इनकार करना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है।

दरअसल, हाल ही में एसिड सर्वाइवर साहस फाउंडेशन और केंद्र सरकार के बीच चले एक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने इसी माह एक अहम फैसला सुनाया था। इस फैसले में शीर्ष अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि एसिड अटैक पीड़ितों के इलाज की जिम्मेदारी केवल सरकारी अस्पतालों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि निजी अस्पतालों को भी इसमें भागीदार बनाया जाए। अदालत ने यह भी कहा था कि पीड़ितों को इलाज के लिए भटकना न पड़े और उनकी जान बचाना सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

नई गाइडलाइन के अनुसार, एसिड अटैक पीड़ित को इमरजेंसी की स्थिति में किसी भी नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता है, चाहे वह सरकारी हो या निजी। अस्पताल प्रशासन को बिना किसी औपचारिकता के तुरंत इलाज शुरू करना होगा। इलाज के दौरान होने वाले खर्च का भुगतान सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाएगा।

मानवाधिकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि एसिड अटैक पीड़ितों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और सामाजिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में समय पर और मुफ्त इलाज उनके जीवन को दोबारा पटरी पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वहीं, चिकित्सा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराया जाएगा। निजी अस्पतालों को भी इस संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए गए हैं। किसी भी स्तर पर लापरवाही या इनकार की स्थिति में संबंधित अस्पताल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।