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“स्वर्णिम भारत” पुस्तक पर रोक को लेकर अशोक गहलोत का BJP पर हमला, बताया फैसला हास्यास्पद

“स्वर्णिम भारत” पुस्तक पर रोक को लेकर अशोक गहलोत का BJP पर हमला, बताया फैसला हास्यास्पद
 
“स्वर्णिम भारत” पुस्तक पर रोक को लेकर अशोक गहलोत का BJP पर हमला, बताया फैसला हास्यास्पद

राजस्थान सरकार द्वारा कक्षा 12वीं की इतिहास पुस्तक "आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत" के पाठ्यक्रम से हटाने के निर्णय पर सियासत गरमा गई है। इस फैसले पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और भाजपा सरकार पर सच्चाई से मुंह मोड़ने का आरोप लगाया है।

गहलोत ने सरकार के इस निर्णय को “हास्यास्पद” और “राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित” बताया। उन्होंने कहा कि यह किताब देश के स्वतंत्रता के बाद के विकास को दर्शाती है, जिसमें कांग्रेस की भूमिका ऐतिहासिक रही है और उसे नकारा नहीं जा सकता।

गहलोत ने क्या कहा?

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा:

“यह तथ्य है कि आजादी के बाद सबसे ज्यादा सरकारें कांग्रेस की रहीं और इस देश को ऐतिहासिक ऊंचाइयों तक ले जाने का श्रेय कांग्रेस सरकारों और प्रधानमंत्रियों को ही मिलेगा। भाजपा सरकार इस सच्चाई को रोक नहीं सकती।”

उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना चाहती है और ऐसे निर्णयों के जरिए युवाओं को गलत जानकारी देने का प्रयास कर रही है।

क्या है मामला?

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रकाशित 12वीं की पुस्तक “आजादी के बाद का स्वर्णिम भारत” में कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों और योजनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का योगदान नगण्य रूप से दिखाया गया है। इसी को लेकर विवाद खड़ा हुआ और राज्य सरकार ने इस पुस्तक के अध्यापन पर रोक लगा दी

शिक्षा विभाग ने सीनियर असिस्टेंट डायरेक्टर दिनेश कुमार ओझा को एपीओ करते हुए बीकानेर तबादला भी कर दिया, जिससे यह मामला और भी गरमा गया है।

बीजेपी की सफाई

इस मामले में भाजपा नेताओं ने पलटवार करते हुए कहा है कि यह किताब एकतरफा महिमामंडन करती है और विद्यार्थियों को तथ्यों की बजाय राजनीतिक दृष्टिकोण से इतिहास पढ़ाने का प्रयास है। भाजपा का दावा है कि सरकार ने संतुलित शिक्षा देने के लिए यह कदम उठाया है।

राजनीतिक हलचल तेज

गहलोत की टिप्पणी के बाद इस मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा के बीच बयानबाज़ी तेज हो गई है। कांग्रेस इसे लोकतंत्र और इतिहास के साथ खिलवाड़ बता रही है, वहीं भाजपा इसे शिक्षा का अपद्रवीकरण रोकने की पहल बता रही है।