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Rajasthan cabinet meeting: सीएम गहलोत ने कैबिनेट की मीटिंग में लिए कई अहम फैसले, अपराध रोकने के लिए लाया जायेंगा यह प्रस्ताव

 
Rajasthan cabinet meeting: सीएम गहलोत ने कैबिनेट की मीटिंग में लिए कई अहम फैसले, अपराध रोकने के लिए लाया जायेंगा यह प्रस्ताव

जयपुर न्यूज डेस्क। जयपुर विधानसभा में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास के लिए 35 प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया। इनमें राजस्थान में संगठित अपराधों की रोकथाम के लिए विधेयक, ओबीसी, एमबीसी वर्ग के नॉन क्रिमिलयर अभ्यर्थियों की एमबीबीएस की ट्यूशन फीस माफी, राज्य वन, जलवायु परिवर्तन, ई-वेस्ट प्रबंधन नीति। नागौर में सरकारी भूमि पर ब्रॉडगेज डेडिकेटेड रेल लाइन जैसे मुद्दों का अनुमोदन किया गया है। 

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राजस्थान मंत्रिमंडल ने बुधवार को राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 का अनुमोदन कर दिया है। इसे शीघ्र ही विधानसभा में पेश किया जाएगा है। अगर यह विधेयक कानून का रूप ले लेता है तो राज्य में संगठित अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई हो पाएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में बुधवार को विधानसभा में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक आयोजित की गई है। इस बैठक में प्रदेश में आर्थिक, सामाजिक विकास, उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने,राज्य कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने, औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने और संगठित अपराधों को नियंत्रित करने सहित विभिन्न महत्वपूर्ण प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया है। 

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गहलोत सरकार की ओर से लाए गए राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 में संगठीत अपराध के मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन का प्रावधान है। इस तरह के मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं होगा। इसके अलावा इस तरह के मामलों की जांच डीएसपी या उससे ऊपर के अधिकारी ही करेंगे। विधेयक में गवाहों को सुरक्षा देने और उनकी पहचान गुप्त रखने की बात कही गई है। उनकी पहचान सार्वजनिक करने वालों के लिए एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

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राजस्थान संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक-2023 को शीघ्र ही विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसमें पीड़ित की मृत्यु होने पर अपराधी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास और न्यूनतम एक लाख रुपये के अर्थदंड का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही आपराधिक षड्यंत्र, गिरोह के सदस्यों को शरण देने के मामले में न्यूनतम पांच साल तक के कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।