मृतक के शव के साथ प्रदर्शन किया तो होगी 5 साल तक की जेल, राजस्थान में पहली बार लागू हुआ कानून
राजस्थान देश का पहला राज्य बन गया है जिसने रेस्पेक्ट फॉर डेड बॉडीज़ एक्ट, 2023 को पूरी तरह से लागू कर दिया है। इस नए कानून ने सड़कों या पब्लिक जगहों पर डेड बॉडी रखकर प्रोटेस्ट करने के चलन को हमेशा के लिए रोक दिया है। हाल के डेवलपमेंट्स के बीच BJP सरकार ने इस बारे में एक नोटिफिकेशन जारी किया है, जिसमें सख्त सज़ा का प्रावधान है। इस कानून के तहत, परिवार के सदस्य के अलावा किसी और द्वारा डेड बॉडी को लेकर कोई भी पॉलिटिकल प्रदर्शन या प्रोटेस्ट करने पर छह महीने से पांच साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। अगर परिवार के सदस्य ऐसे काम को मंज़ूरी देते हैं या उसमें शामिल होते हैं, तो ज़्यादा से ज़्यादा सज़ा दो साल है।
डेड बॉडी लेने से मना करने पर भी सज़ा होगी।
नोटिफिकेशन के मुताबिक, अगर एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट से 24 घंटे का नोटिस मिलने के बाद भी परिवार डेड बॉडी लेने से मना करता है, तो उन्हें एक साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके बाद पुलिस बॉडी को अपने कब्ज़े में लेगी, ज़रूरी वीडियो-रिकॉर्डेड पोस्टमॉर्टम करेगी और सरकारी अधिकारियों द्वारा अंतिम संस्कार का इंतज़ाम करेगी।
अस्पतालों के लिए भी नियम
पुलिस स्टेशन गलत व्यवहार के शक में लाशों को ज़ब्त करेंगे, मजिस्ट्रेट और ज़िला पुलिस सुपरिटेंडेंट को रिपोर्ट करेंगे और ऑथराइज़्ड अस्पतालों में उनकी जांच करवाएंगे। बिल पेंडिंग होने की वजह से अस्पताल लाशों को नहीं रख पाएंगे। लावारिस लाशों का निपटारा राजस्थान एनाटॉमी एक्ट, 1986 के तहत किया जाएगा, जिसमें जेनेटिक डेटाबेस और अनजान मौतों की डिजिटल ट्रैकिंग शामिल है।
पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान पास हुआ कानून
खास बात यह है कि यह कानून पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान जुलाई 2023 में पास हुआ था। उस समय के पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर शांति धारीवाल ने 2014 और 2018 के बीच 82 घटनाओं से बढ़कर 306 होने का ज़िक्र किया था, जो अक्सर नौकरी या मुआवज़े की मांग पर आधारित थीं। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने इसे मरने वाले की इज़्ज़त और ह्यूमन राइट्स की रक्षा बताया था।
