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Rajasthan में बिजली संकट गहराया, 3 करोड़ यूनिट बिजली घटी, आमजन परेशान

 
Rajasthan में बिजली संकट गहराया, 3 करोड़ यूनिट बिजली घटी, आमजन परेशान 

जोधपुर न्यूज़ डेस्क, चढ़ रहे पारे से सोलर पावर भी हांफने लगा है। बिजली उत्पादन पर इसका असर साफ देख सकते हैं। पारा 45 डिग्री को पार कर चुका है और फलोदी जिले में जहां सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है, वहां भी सोलर जनरेशन में नुकसान हो रहा है। 8 से 10 प्रतिशत प्रतिदिन बिजली उत्पादन कम हुआ है। सूरज की सीधी किरणें सौर ऊर्जा के लिए वरदान मानी जाती हैं, लेकिन यह वरदान 25 से 35 डिग्री तापमान तक ही है। इसके बाद चढ़ने वाला पारा सोलर बिजली उत्पादन में गिरावट होने का कारण बनता है। गत दस दिन से चल रहे 40 से 46 डिग्री के तापमान में तो उत्पादन में आठ से दस प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। इन दस दिन में ही फलोदी जिले में लगे 5 हजार मेगावाट प्लांट से 2 करोड़ यूनिट बिजली कम पैदा हुई है।

चार माह चलेगा गिरावट का सिलसिला

पश्चिमी राजस्थान में अप्रेल से जुलाई तक भीषण गर्मी का दौर चलता है। इन चार महीनों में तापमान सामान्य से अधिक रहता है। इस कारण अप्रेल से जुलाई तक सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता प्रभावित रहती है। ऐसे में भडला में स्थापित 22 सौ मेगावाट के सोलर प्लांट से करीब 16.90 करोड यूनिट सामान्य से कम उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। अधिक तापमान में उत्पादन बढ़ने की बजाए कम होने के पीछे सोलर प्लेट्स में उपयोग होने वाले मेटेरियल और तकनीक को माना जा रहा है।

फैक्ट फाइल

5 हजार मेगावाट के सोलर प्लान्ट स्थापित हैं फलोदी जिला क्षेत्र में।
एशिया का सबसे बडा सोलर हब है फलोदी का भडला गांव।
100 मेगावाट पर 8.65 लाख तूनिट बिजली का प्रतिदिन होता है उत्पादन।
4 महीने प्रतिदिन होगी 14.08 लाख यूनिट की प्रतिदिन गिरावट का अनुमान।
4 माह में 50 करोड़ का सोलर आय प्रभावित होने की आशंका।
10 दिन में फलोदी जिले में करीब 3 करोड़ युनिट बिजली उत्पादन प्रभावित।

इसलिए आ रही दिक्कत

30 डिग्री तापमान को सोलर जनरेशन के लिए स्टेंडर्ड मापदण्ड माना गया। फरवरी-मार्च का महीना सबसे ज्यादा जनरेशन देता है। बाकी गर्मियों में तेज तापमान के कारण गिरावट आती है। सोलर प्लेट्स में 25 डिग्री के तापमान पर बिजली उत्पादन शत प्रतिशत उत्पादन क्षमता का मापदण्ड तय है। इससे अधिक के पारा के बाद उत्पादन में गिरावट होती है।