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निकाय-पंचायत और छात्रसंघ चुनावों को लेकर राजस्थान में गरमाई सियासत! CM स्तर पर मंथन जारी, जानिए किस मुद्दे पर अटकी है घोषणा

 
निकाय-पंचायत और छात्रसंघ चुनावों को लेकर राजस्थान में गरमाई सियासत! CM स्तर पर मंथन जारी, जानिए किस मुद्दे पर अटकी है घोषणा

शहरी और ग्रामीण सरकार के साथ-साथ छात्रसंघ चुनावों को लेकर राजनीति तेज़ हो रही है। विपक्ष इन तीनों चुनावों को लेकर जहाँ जुबानी हमले कर रहा है, वहीं सत्ता पक्ष भी पलटवार कर रहा है। वहीं, छात्रसंघ चुनावों को लेकर छात्र नेता सड़कों पर उतर आए हैं। लोकतंत्र को मज़बूत करने में इन तीनों की भूमिका अहम है। राज्य सरकार ने प्रदेश में पंचायत और निकाय चुनाव एक साथ कराने की घोषणा की है। इससे चुनाव प्रक्रिया ठप हो गई है। चुनाव से पहले पंचायत और निकाय पुनर्गठन का काम धीमी गति से चल रहा है। इसमें हो रही देरी को लेकर मुख्यमंत्री स्तर पर भी चर्चा चल रही है। इस बीच, जिन नगर निकायों और पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, वहाँ प्रशासक नियुक्त कर दिए गए हैं। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के जुबानी हमले तेज़ हो रहे हैं और मामला हाईकोर्ट तक भी पहुँच गया है।

पंचायत चुनाव
पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन और सृजन के प्रस्ताव 4 जून को प्रकाशित होने थे, लेकिन जिला कलेक्टरों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर कई जगहों से आपत्तियाँ आईं। जनप्रतिनिधियों ने जयपुर पहुँचकर प्रस्तावों पर अपनी आपत्तियाँ दर्ज कराईं।

मामला हाईकोर्ट पहुँचा
हाईकोर्ट ने दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को पुनर्गठन प्रस्तावों पर अमल से पहले उनकी अंतिम रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट ने 7 जुलाई की तारीख दी थी, लेकिन प्रस्तावों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। सरकार ने हाईकोर्ट से और समय माँगा। हाईकोर्ट ने 22 जुलाई तक अंतिम रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए।

बैठकों का दौर

विधायकों ने पंचायतों के प्रस्तावों पर आपत्ति जताई। मामला मुख्यमंत्री की निगरानी में उच्च स्तरीय समिति के पास गया। उच्च स्तरीय समिति की मुख्यमंत्री के साथ बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।

वार्ड पुनर्गठन, सीमांकन अधूरा
नगरीय निकायों के वार्ड पुनर्गठन और परिसीमन का काम 15 मई तक पूरा होना था, लेकिन 100 निकायों के कई वार्डों में सीमांकन अटका हुआ है। सरकार अब जुलाई के अंत तक सीमांकन प्रक्रिया पूरी करने का दावा कर रही है और अगस्त से अधिसूचना जारी कर मतदाता सूची का काम शुरू करने की योजना बना रही है।

यहाँ समस्या
वार्डों की संख्या नवंबर 2023 में निर्धारित जनसंख्या के आधार पर तय की गई थी, लेकिन पहाड़, नदियाँ, सड़कें आदि भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वार्डों में जनसंख्या असंतुलन सामने आया। वार्डों में जनसंख्या निर्धारित मानकों का 15 से 26 प्रतिशत पाई गई। इससे सीमांकन में जटिलता आई।

111 निकायों में प्रशासक नियुक्त
सरकार ने राज्य के 111 नगरीय निकायों (नगर निगम, परिषद, पालिका) में बोर्ड का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव कराने के बजाय प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। राज्य में 140 नगरीय निकाय ऐसे हैं जिनका कार्यकाल दिसंबर और जनवरी में समाप्त हो जाएगा।

बोर्ड भंग किए बिना चुनाव की तैयारी
इस साल नवंबर-दिसंबर में सभी निकायों में एक साथ चुनाव कराने की तैयारी है। इसमें सबसे बड़ी बाधा 91 निकाय हैं जिनका कार्यकाल जनवरी और फरवरी 2026 में समाप्त हो जाएगा। इन निकायों के बोर्ड भंग करना आसान नहीं है। इस बात पर विचार चल रहा है कि बोर्ड को भंग किए बिना चुनाव कराए जाएँ और कार्यकाल पूरा होने के बाद नया बोर्ड गठित किया जाए। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही सरकारें राज्य में छात्र संघ चुनावों पर रोक लगाती रही हैं। फिलहाल, चुनावों पर रोक 2023 से लगी है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने छात्र संघ चुनावों पर रोक लगा दी थी। इसके बाद भाजपा सत्ता में आई और चुनावों पर रोक अब तक जारी है।

2003 से अब तक 9 बार लग चुका है प्रतिबंध

वर्ष 2003 के बाद छात्र संघ चुनावों पर 9 बार रोक लग चुकी है। 2004 में हुए छात्र संघ चुनावों के बाद यह रोक अधिकतम पाँच वर्षों तक रही। इसके बाद 2010 में छात्र संघ चुनाव शुरू हुए। 2018 तक लगातार चुनाव हुए, लेकिन इसके बाद दो साल के लिए फिर से चुनाव रोक दिए गए। 2022 में कांग्रेस सरकार ने फिर से छात्र संघ चुनाव कराए।