Aapka Rajasthan

Jaipur राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी की काव्य गोष्ठी में कवियों ने रचा ब्रज संस्कृति का सलौना संसार

 
;

जयपुर न्यूज़ डेस्क, झालाना स्थित अकादमी परिसर शुक्रवार को ब्रह्मा की बेपरवाह और सलोनी संस्कृति के रंग में रंग गया। मौका था राजस्थान ब्रज भाषा अकादमी द्वारा हर महीने आयोजित की जाने वाली काव्य गोष्ठी की पांचवीं कड़ी के आयोजन का। अकादमी के सचिव गोपाल लाल गुप्ता के संयोजन से आयोजित इस संगोष्ठी में 18 वरिष्ठ एवं युवा कवि अपनी एक मौलिक रचना के अलावा सभी कवियों ने अकादमी द्वारा समस्या के समाधान के लिए आवंटित शब्द 'पवैगाऊ' के माध्यम से शब्द 'पवैगौ' ने समस्या को रोचक तरीके से हल किया। ब्रजभाषा के वरिष्ठ कवि भूपेंद्र भरपुर की देखरेख में आयोजित भूपेंद्र ने सरस्वती वंदना गाकर इस काव्य सभा की शुरुआत की।

इसके बाद राजस्थानी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि गोपीनाथ गोपेश ने 'पवैगाऊ' शब्द से समस्या को पूरा करते हुए कन्या भ्रूण हत्या का मार्मिक चित्रण करते हुए 'कैसौ करम कर दारो तैनै कन्या भ्रूण निकारो' रचना प्रस्तुत की। वरिष्ठ कवि वरुण चतुर्वेदी ने अपनी पैरोडी रचना 'बत्ती लाई है लाई है बत्ती लाई है' प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों को हास्य रस से सराबोर कर दिया।काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता राजस्थान बाल साहित्य अकादमी के अध्यक्ष एवं गंगा जमुनी तहजीब के कवि इकराम राजस्थानी ने की। लोगों ने इकराम राजस्थानी की रचना 'बाँसुरी के स्पर्श से पवित्र हो जाती है राधा की देह, कृष्ण का स्मरण आते ही मन वृन्दावन की ओर मुड़ जाता है' की रचना में निहित भावों की लोगों ने प्रशंसा की।

संगोष्ठी के दौरान अकादमी के सचिव गोपाल लाल गुप्ता ने भी 'कोरोना माही निश्चय ए ज्वार आवैगौ, चित्त अकेलाउ चैन नयिन फिर पवैगौ' इन शब्दों से रोचक ढंग से समस्या का समाधान किया।हिंदी-राजस्थानी भाषा के एक अन्य वरिष्ठ कवि किशोर जी किशोर ने भी इस अवसर पर ब्रजभाषा के 'पवैगौ' शब्द की पूर्ति करते हुए अपनी रचना 'तिरंगा को फरी देत, भारती को गरी देत, ऐसाउ देश-द्रोही राग उलटा सुनावैगो' की रचना की। इसके जरिए देशद्रोहियों पर तीखे व्यंग्य बाण चलाए गए।

इस अवसर पर राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के अध्यक्ष डॉ. रामकृष्ण शर्मा ने भरतपुर से वीडियो कॉल के माध्यम से लोगों का अभिवादन करते हुए ब्रजभाषा की अपनी रचना प्रस्तुत की। इस अवसर पर डॉ. निशा पारीक, भगवान सहाय पारीक, संजय गोस्वामी, बनवारी लाल सोनी सहित प्रदेश के 18 युवा एवं वरिष्ठ कवियों ने 'पावैगाऊ' शब्द की पूर्ति करते हुए अपनी एक मौलिक रचना प्रस्तुत की.