गुलाबी रंग, राजसी वैभव और योजनाबद्ध बसावट, वायरल फुटेज में जाने आखिर क्यों जयपुर को कहा जाता है राजस्थान का पेरिस ?
राजस्थान का जब भी जिक्र होता है, जयपुर का नाम सबसे पहले जेहन में आता है। भारत के सबसे आकर्षक और ऐतिहासिक शहरों में शामिल जयपुर को अक्सर "पिंक सिटी" कहा जाता है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसे "राजस्थान का पेरिस" भी कहा जाता है। क्या कारण है कि इस रेगिस्तानी प्रदेश के बीच बसे इस शहर की तुलना फ्रांस के सबसे रोमांटिक और खूबसूरत शहर से की जाती है? इसका जवाब छिपा है जयपुर के इतिहास, वास्तुकला, और सांस्कृतिक भव्यता में।
क्यों कहलाया "राजस्थान का पेरिस"?
जयपुर को राजस्थान का पेरिस इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह शहर अपनी सुनियोजित योजना, सुंदर वास्तुकला, और सांस्कृतिक वैभव के लिए विश्व प्रसिद्ध है। जैसे पेरिस को उसकी कला, फैशन, और डिजाइन के लिए जाना जाता है, वैसे ही जयपुर को भारत के पहले योजनाबद्ध शहर के रूप में पहचाना जाता है। 18वीं सदी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने इस शहर की नींव रखी थी और इसे वैदिक वास्तुशास्त्र और खगोलशास्त्र के सिद्धांतों पर बसाया गया।सवाई जय सिंह ने न केवल एक सुंदर शहर की परिकल्पना की, बल्कि उसे यथार्थ रूप भी दिया। जयपुर को ग्रीड सिस्टम पर बसाया गया, जिसमें शहर को नौ हिस्सों में बाँटा गया – एक तरह से जैसे आधुनिक यूरोपीय शहरों की योजना होती है। चौड़ी सड़कें, वर्गाकार चौक, सममित बाजार और गुलाबी रंग की एकरूपता ने इसे अद्वितीय बना दिया।
गुलाबी रंग की खासियत और ब्रिटिश राज से जुड़ा संबंध
जयपुर को "पिंक सिटी" भी कहा जाता है, लेकिन इसकी शुरुआत भी दिलचस्प है। वर्ष 1876 में जब प्रिंस ऑफ वेल्स (जो आगे चलकर किंग एडवर्ड VII बने) जयपुर के दौरे पर आने वाले थे, तो महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंगवा दिया था। गुलाबी रंग भारतीय परंपरा में अतिथि सत्कार और स्वागत का प्रतीक माना जाता है। तब से यह परंपरा बनी रही और आज भी पुराने जयपुर की इमारतें गुलाबी रंग में रंगी जाती हैं।यही एकरूपता और आर्किटेक्चर की समरसता, जयपुर को पेरिस जैसी एक सजग और संतुलित सुंदरता देती है।
वास्तुकला, किले और महल
जयपुर में स्थापत्य कला का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। यहाँ मुग़ल और राजपूत शैली का समावेश नजर आता है। हवा महल, सिटी पैलेस, जंतर-मंतर, अंबर किला, और नाहरगढ़ फोर्ट इसकी शान बढ़ाते हैं। यह स्मारक न केवल स्थापत्य का चमत्कार हैं, बल्कि यह जयपुर के ऐतिहासिक गौरव और रॉयल हैरिटेज के प्रतीक भी हैं।जयपुर के बाजार भी एक खास पहचान रखते हैं – जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, और बापू बाजार आज भी अपनी पारंपरिक वास्तुकला और रंगीन दुकानों के साथ पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
आधुनिकता और परंपरा का संगम
जयपुर भले ही एक ऐतिहासिक शहर हो, लेकिन यह आधुनिकता से भी पीछे नहीं है। आज यह शहर यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा पा चुका है और देश के सबसे बड़े पर्यटन केंद्रों में से एक है। जयपुर में अब मेट्रो, एयरपोर्ट, इंटरनेशनल फेस्टिवल्स, लिटरेचर फेयर और टेक्नोलॉजी हब्स भी हैं, जो इसे एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाते हैं।
