Jaipur रास आ रही देवभाषा संस्कृत, विदेशों में रहकर सीख रहे लोग
अध्यात्म से बढ़ रहा है जुड़ाव
संस्कृत के विशेषज्ञ और ट्यूटर रमेश चंद्र कुमावत के अनुसार विदेशों में रह रहे एनआरआइ अपने बच्चों को गीता, रामायण पढ़ना सिखा रहे हैं। उनका मानना है कि वे भारत से दूर हैं, लेकिन बच्चों का अपनी जड़ों से जुड़ाव हमेशा रहना चाहिए। ऐसे में वे बच्चों को रोजाना ऑनलाइन संस्कृत क्लास दिलवा रहे हैं, जिसमें बच्चों को गीता, रामायण के अध्याय पढ़ना सिखाया जा रहा हैं। इसके अलावा भी उन्हें श्लोक, मंत्रों के अर्थ बताए जा रहे हैं।
भारतीय संस्कृति से काफी लगाव
फ्रांस में रह रही इसाबेल ने बताया कि वे ट्रैवलर हैं। उन्हें भारत आना काफी पसंद है। यहां की संस्कृति, खान-पान से उन्हें विशेष लगाव हैं। उनका कहना है कि उन्होंने भारत के इतिहास के बारे में भी काफी कुछ पढ़ा है। यहां पर उन्होंने हिंदी, संस्कृत की कई क्लासेज ली थी, अब इन भाषा को काफी आसानी से समझ पाती हैं। उनका कहना है कि इनको समझने में शुरुआत में काफी मुश्किल हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे ये परेशानियां आसान होती गईं और भाषा समझ आती गई।
खुद सीखकर दूसरे विदेशियों को सिखा रहे
संस्कृत की अध्यापिका योगिता राठौड़ ने बताया कि वे इटली, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी में रहने वाले विदेशियों को संस्कृत सिखाती हैं। विदेशियों का जुड़ाव भगवान राम और कृष्ण से हुआ है। ऐसे में वे देवभाषा भी बोलना चाहते हैं। इस तरह भारतीय अलग-अलग भाषा सीखने के इच्छुक रहते हैं। वैसे ही विदेशी भी भारतीय भाषाओं में रुचि रखते हैं। ऐसे में कई विदेशी लोग खुद सीखकर दूसरों को भाषा सिखा रहे हैं। इससे उन्हें आय के भी बेहतर अवसर मिल रहे हैं। विदेशों में रह रहे लोगों का भारतीय संस्कृति से जुड़ाव बढ़ रहा है। ट्रेवल वर्ल्ड की रिपोर्ट के अनुसार 2023 से लेकर अभी तक भारत में 305.4 फीसदी विदेशी पर्यटक बढ़े हैं। राजस्थान अधिकतर टूरिस्ट्स की टॉप विजिटिंग लिस्ट पर रहता है। गाइड विपिन शर्मा के अनुसार भ्रमण के दौरान टूरिस्ट का भारतीय परंपरा के साथ भारतीय भाषा से भी जुड़ाव हो जाता है। वे जब भारत के अलग-अलग राज्यों का भ्रमण करते हैं, तब वे यहां की बोलचाल-वेशभूषा, खान-पान को गहराई से समझते हैं। वहीं, पिंकसिटी के टूरिस्ट गाइड शहर घुमाने के साथ ही पर्यटकों को अलग-अलग भाषाओं का महत्व भी बताते हैं।