RTE के तहत लॉटरी में चयन होने के बाद भी नहीं मिल रहा एडमिशन, सामने आया पेरेंट्स के जमकर हंगामे का वीडियो
राजस्थान में शिक्षा का अधिकार (Right To Education - RTE) अधिनियम के तहत स्कूलों में निशुल्क प्रवेश पाने की उम्मीद लिए हजारों पेरेंट्स अब निराशा का सामना कर रहे हैं। सरकार की ओर से लॉटरी प्रक्रिया के माध्यम से चयनित होने के बावजूद, प्रदेशभर में बड़ी संख्या में बच्चों को अब तक स्कूलों में दाखिला नहीं मिल पाया है। नए सत्र की शुरुआत को कई सप्ताह बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
चयनित होने के बाद भी दर-दर भटक रहे पेरेंट्स
राज्य सरकार की ओर से RTE के तहत गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा दिलाने के लिए लॉटरी प्रक्रिया की जाती है। इस साल भी हजारों बच्चों का चयन हुआ, लेकिन जब अभिभावक बच्चों को लेकर चयनित स्कूलों में पहुंचे तो वहां या तो प्रवेश से मना कर दिया गया या टाल-मटोल किया गया। कई स्कूलों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उनके पास RTE के तहत नामांकन की कोई जानकारी नहीं है या सीट फुल होने का हवाला दिया गया।
पेरेंट्स का फूटा गुस्सा, विरोध की तैयारी
बच्चों को शिक्षा दिलाने की उम्मीद में दौड़-भाग कर रहे पेरेंट्स अब नाराज हो चुके हैं। कई जिलों में अभिभावकों ने स्कूल मैनेजमेंट पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। वहीं, शिक्षा विभाग पर भी समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया जा रहा है। अब अभिभावकों ने एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करने और शिक्षा निदेशालय के सामने प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई है।
स्कूलों की मनमानी बनी बड़ी बाधा
राज्यभर से मिल रही शिकायतों के अनुसार, कई प्राइवेट स्कूल आरटीई के तहत चयनित बच्चों को प्रवेश देने से साफ इनकार कर रहे हैं। कुछ स्कूल प्रशासन की ओर से दस्तावेजों में खामियां निकालकर प्रक्रिया को जानबूझकर लटकाया जा रहा है। वहीं, कई स्कूलों ने यह कहकर अभिभावकों को लौटा दिया कि विभाग की तरफ से उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं मिली है।
शिक्षा विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
स्कूलों की मनमानी और RTE के तहत चयनित बच्चों को समय पर एडमिशन न मिलने पर शिक्षा विभाग की चुप्पी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अब तक कोई ठोस कार्यवाही न होने से पेरेंट्स के मन में विभाग की नीयत को लेकर भी संदेह उत्पन्न हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही इस दिशा में हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो हजारों बच्चों का शिक्षा सत्र प्रभावित हो सकता है।
समाधान की मांग
पेरेंट्स का कहना है कि सरकार को चाहिए कि RTE के तहत चयनित बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक विशेष टीम गठित करे, जो स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखे और शिकायतों का तुरंत समाधान करे। इसके अलावा, स्कूलों को निर्देशित किया जाए कि यदि वे आरटीई के तहत एडमिशन देने से इनकार करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
