जयपुर के गुप्त वृन्दावन धाम में पानीहाटी चिड़ा दही उत्सव, वीडियो में देखें मदन राठौड़ ने किया अक्षय पात्र रसोई का किया दौरा

जयपुर स्थित गुप्त वृंदावन धाम में सोमवार को श्रद्धा और भक्ति से सराबोर पानीहाटी चिड़ा-दही उत्सव का भव्य आयोजन हुआ। इस पारंपरिक उत्सव में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और श्रीकृष्ण-बलराम के जलविहार और भोग दर्शन का आनंद लिया। इस विशेष अवसर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ भी मंदिर पहुंचे और उन्होंने कृष्ण-बलराम का आशीर्वाद प्राप्त किया।
चिड़ा-दही उत्सव की पौराणिक परंपरा
पानीहाटी चिड़ा-दही महोत्सव का संबंध श्री चैतन्य महाप्रभु की लीलाओं से जुड़ा हुआ है, जिसे खास तौर पर वैशाख पूर्णिमा या ग्रीष्म ऋतु में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन श्रीनित्यानंद प्रभु ने श्री रघुनाथ दास गोस्वामी को प्रसन्न करने के लिए यह उत्सव आयोजित किया था, जिसमें श्रीकृष्ण और बलराम को चावल (चिड़ा) और दही का भोग लगाया जाता है।
कृष्ण-बलराम के जलविहार ने मोहा मन
गुप्त वृंदावन धाम में आयोजित इस उत्सव के दौरान श्रीकृष्ण और बलराम की आकर्षक जलविहार झांकी प्रस्तुत की गई। ग्रीष्म ऋतु की तपन को ध्यान में रखते हुए ठाकुरजी के लिए शीतल जल स्नान, पुष्पवर्षा और सुगंधित जल से अर्चना की गई। मंदिर परिसर को फूलों, बंदनवारों और रंग-बिरंगी झालरों से सजाया गया, जिससे पूरा वातावरण आध्यात्मिक और उल्लासपूर्ण हो गया।
विभिन्न स्वादों में चिड़ा-दही का भोग
उत्सव के दौरान ठाकुरजी को विभिन्न प्रकार के स्वादों में तैयार किया गया चिड़ा-दही का भोग अर्पित किया गया। इसमें इलायची, गुलाब जल, मिश्री, आम, नारियल और ड्राई फ्रूट्स से युक्त चिड़ा-दही शामिल थे। श्रद्धालुओं को भी प्रसाद स्वरूप चिड़ा-दही वितरित किया गया, जिसे पाने के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं।
मदन राठौड़ ने की पूजा-अर्चना
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ ने उत्सव में भाग लेकर मंदिर में पूजा-अर्चना की और भगवान श्रीकृष्ण-बलराम से प्रदेश की सुख-समृद्धि और शांति की कामना की। इस अवसर पर उन्होंने कहा, "गुप्त वृंदावन धाम जैसी आध्यात्मिक स्थलों पर आने से मानसिक शांति और ऊर्जा मिलती है। यह परंपरा हमारी सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है, जिसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है।"
भक्तिभाव और आयोजन की सराहना
इस आयोजन की विशेष व्यवस्था गुप्त वृंदावन धाम सेवा समिति द्वारा की गई थी। मंदिर प्रबंधन और सेवाव्रती भक्तों ने पूरे उत्सव को सुव्यवस्थित और अनुशासित ढंग से संपन्न कराया। कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, साधु-संतों, और भक्तों की बड़ी उपस्थिति देखी गई।