'मोदी का सिर्फ नाम लेकिन कांग्रेस नेताओं पर पूरा पाठ....' बौखलाए शिक्षा मंत्री बोले बोले- 'नहीं पढ़वाएंगे', जानिए क्या है पूरा मामला ?
राजस्थान में 12वीं कक्षा की किताब 'आज़ादी के बाद का स्वर्णिम इतिहास' को लेकर सियासी बवाल मच गया है। दरअसल, इस किताब में गांधी-नेहरू परिवार समेत कांग्रेस के प्रधानमंत्रियों पर काफी सामग्री है।लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 सालों के योगदान पर पढ़ने के लिए बहुत कम जानकारी दी गई है। मोदी को तवज्जो न मिलने के कारण अब सरकार ने छात्रों को यह किताब न पढ़ाने का फैसला किया है।
वहीं, राज्य पाठ्यपुस्तक मंडल नए सत्र (2025) के लिए छपी 4.90 लाख किताबें 19,700 स्कूलों में वितरित कर रहा है। इतना ही नहीं, लगभग 80 प्रतिशत किताबें वितरित भी हो चुकी हैं।तर्क यह है कि सरकार की मंजूरी के बाद ही किताबें वितरित की जा रही हैं। यह किताब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा तैयार की गई है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय से इसे कक्षा 11-12 में भाग-1 और भाग-2 के रूप में पढ़ाया जाता रहा है।
सबसे पहले जानिए शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने क्या कहा
पुस्तक में सिर्फ़ कांग्रेस का महिमामंडन किया गया है। ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ कांग्रेस ने ही किया है। हम कांग्रेस की किताब नहीं पढ़ाएँगे। इसमें लोकतंत्र की हत्या करने वालों की कहानियाँ हैं। तस्वीरों की तो बात ही छोड़िए, यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योगदान का भी विस्तृत ज़िक्र नहीं है। भैरोंसिंह शेखावत और वसुंधरा राजे का योगदान कहाँ गया?
बोर्ड सचिव बोले- मंज़ूरी के बाद ही छपवाईं किताबें
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव कैलाश चंद शर्मा ने इस मामले पर कहा कि बोर्ड अपनी किताबों के लिए पहले सरकार से मंज़ूरी लेता है। मंज़ूरी मिलने के बाद ही हमने किताबें छपवाई हैं।वहीं, पुस्तक बोर्ड के सीईओ मनोज कुमार ने कहा कि हमारा काम सिर्फ़ छपाई और वितरण का है। हमें नहीं पता कि उनमें क्या छपा है और क्या नहीं।
किताब पर बवाल क्यों मचा है?
कोऑर्डिनेटर की प्रस्तावना में 80 प्रतिशत ज़िक्र राजीव गांधी के योगदान का है। पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह की 15 से ज़्यादा तस्वीरें अलग-अलग पन्नों पर लगाई गई हैं। वहीं, 11 साल से देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक भी तस्वीर नहीं है।
साथ ही, अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और मोदी के योगदान के बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। सोनिया गांधी और अशोक गहलोत की भी तस्वीरें हैं। इस पर पूर्व शिक्षा मंत्री कालीचरण सराफ ने कहा है कि हम ऐसी किताब बर्दाश्त नहीं कर सकते।
