जयपुर सेंट्रल जेल में 1600 में से सिर्फ 3 को मिलेगा मतदान करने मौका

जयपुर न्यूज़ डेस्क ,राजस्थान में 25 नवंबर को चुनाव के लिए मतदान होगा. चुनाव में प्रतिशत बढ़ाने के लिए विभाग लगातार लोगों को सलाह दे रहा है. घर-घर जाकर तलाशी ली जा रही है. वहीं, राजस्थान की जेलों में बंद 30 हजार कैदियों को वोट नहीं मिलेगा. सरकार ने केवल राजपासा एक्ट के तहत जेल में बंद लोगों को ही वोट देने का मौका दिया है. इस अधिकारी का कहना है कि कैदी खुद वोट नहीं देना चाहते. क्योंकि वे स्वयं ही इसकी पूरी प्रक्रिया कास्टिंग करते हैं। राजस्थान की सेंट्रल जेलों में राजपासा एक्ट के तहत कुल 23 कैदी बंद हैं. इस अधिनियम के तहत कैदियों को एक साल तक की कैद की सजा नहीं दी जाती है। इन 23 कैदियों को चुनाव के प्रभाव के कारण चुनाव आयोग या जिला पुलिस अधीक्षक के आदेश पर हिरासत में लिया गया है. इसी जेल में रहते हुए मुझे वोट देने का मौका मिला. वहीं, जयपुर सेंट्रल जेल में राजपासा एक्ट के तहत सिर्फ 3 कैदी ही बंद हैं. इन अस्वीकृतियों के लिए मतदान डाक मतपत्र के माध्यम से किया जाएगा। वहीं, गृह विभाग ने जेल डीजी को पत्र लिखकर राज्य की जेलों में बंद राजपासा कैदियों की जानकारी देने की अनुमति दी है. इसलिए मतदान के लिए नमूना डाक मतपत्र संबंधित विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर को भेजा जा सकता है।
गृह विभाग के आदेश के बाद डीजी जेल भूपेन्द्र दक ने सभी सेंट्रल जेलों और जिला जेलों के अधीक्षकों को इन जेलों की जानकारी के लिए पत्र जारी करने की अनुमति दी थी. खुलासा हुआ है कि प्रदेश में राजपासा के तहत सिर्फ 23 कैदी ही बंद हैं। जयपुर सेंट्रल जेल में 1500 कैदी, जिला जेल में 600 कैदी, खुली जेल में 500 कैदी, महिला जेल में 200 कैदी। जानकारी के मुताबिक, राजस्थान की सभी सेंट्रल जेलों, जिला जेलों और खुली जेलों में 30 हजार से ज्यादा कैदी हैं. जयपुर की सेंट्रल जेल में करीब 1500 कैदी, जिला जेल में 600 कैदी, खुली जेल में 500 कैदी और महिला जेल में 200 महिला कैदी हैं. इन लोगों द्वारा मताधिकार का उपयोग नहीं किया जा रहा है.डीजे जेल ने कहा- कैदी खुद वोटिंग प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहता डीजी जेल भूपेन्द्र दक ने कहा- जेल में बंद कैदियों को वोट देने का अधिकार है। वोट देने के अधिकार के तहत वह जेल कप्तान या चुनाव आयोग को पत्र लिख सकते हैं। जेलों में बंद कैदियों को खुद इस प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है. ऐसे बहुत कम कैदी हैं जो वोट देने के अपने अधिकार के तहत मतदान की वकालत करते हैं। राजस्थान में आज तक यही प्रक्रिया चल रही है. अगर कोई कैदी या कैदी स्पष्ट रूप से अपनी इच्छा व्यक्त करता है तो उसे वोट देने के लिए भेजा जाता है।
राजपासा क्या है?
एडैप्टन चिप्स को राजपासा में पकड़ा गया और एक साल के लिए जेल भेज दिया गया। राजस्थान में चुनाव के दौरान तिहाड़ के खिलाफ लोगों पर कार्रवाई की जाती है. इन उद्योगपतियों ने भले ही इस दौरान कोई अपराध नहीं किया हो, लेकिन चुनाव और त्योहारों के दौरान अपराध हो सकते हैं. इस दुर्लभता को देखते हुए यह शक्ति जिला पुलिस कप्तान और चुनाव आयोग के पास मौजूद है. इन अपराधियों को बिना कोई अपराध किए जेल भेजा जा सकता है.राजपासा के दोस्तों को शामिल कर वोट मांगते हैंराजपास में कैदियों को भारी वोट मिलते हैं क्योंकि वे किसी अपराध के लिए जेल में नहीं होते हैं। इन्हें बंद कर दिया गया है क्योंकि इनका आपराधिक रिकॉर्ड है. ऐसा लगता है कि जिले के पुलिस पदाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी अपराध कर सकते हैं. इसलिए इन लोगों को वोट देने का अधिकार है.पुलिस के सामने चुनौती, इसलिए वोटिंग पर रोकविभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, लेनी जेल के मालिक हैं जो जेल में बंद कैदियों और कैदियों के लिए सबसे पहले वोट करते हैं. जवाब के बाद वह पुलिस हिरासत में मतदान कर सकती हैं. कोर्ट से आदेश मिलने के बाद उन्हें मतदान केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी जेल प्रशासन की नहीं बल्कि पुलिस बल की है. पुलिस बल को सामूहिक चुनाव के लिए ड्यूटी दी गई है। ऐसे में हजारों कैदियों को पोलिंग बूथ तक ले जाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. इस कारण जेलों से वोट देने पर रोक लगा दी गयी है. हालांकि, बिहार समेत कई ऐसे राज्य हैं जहां कैदी पोस्टल बैलेट के जरिए वोट करते हैं।