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कल हनुमान जयंती पर इस शुभ मुहूर्त में करे पवनपुत्र का पूजन, 3 मिनट के इस शानदार वीडियो में जाने पूजन विधि, सामग्री, मंत्र और भोग की पूरी डिटेल

कल हनुमान जयंती पर इस शुभ मुहूर्त में करे पवनपुत्र का पूजन, 3 मिनट के इस शानदार वीडियो में जाने पूजन विधि, सामग्री, मंत्र और भोग की पूरी डिटेल
 
कल हनुमान जयंती पर इस शुभ मुहूर्त में करे पवनपुत्र का पूजन, 3 मिनट के इस शानदार वीडियो में जाने पूजन विधि, सामग्री, मंत्र और भोग की पूरी डिटेल

हनुमान जयंती महोत्सव में महोत्सव से मनाई जाती है। ऋषि के अनुसार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को राजा केसरी और माता अंजनी के घर हुआ था। कहा जाता है कि हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। असल में, बजरंगबली को अष्ट सिद्धियों और नौ निधियों का गौरव प्राप्त है, जिससे वे अपने सभी भक्तों के हितों का अंत करते हैं। सिद्धांत है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति के सभी मन प्रसन्न होते हैं।

हनुमान जयंती शुभ अवसर

पंचांग के अनुसार हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा करने का शुभ अभिजीत उत्सव सुबह 11:56 बजे से दोपहर 12:48 बजे तक रहेगा। इस दौरान भक्त बजरंगबली की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं।

हनुमान जयंती पूजा विधि

हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह स्नान करें और लाल वस्त्र स्नान करें। इसके बाद हनुमान जी को सिन्दूर, लाल फूल, तुलसी के पत्ते, चोला और फूली के लोध चढ़ाते हैं। इसके बाद मंत्रों का जाप करें। फिर से हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ करें। अंत में आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

 

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हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली को पान का प्रसाद, गुड़-चना, नारियल, केला, केसरयुक्त चावल, खीर और जलेबी का भोग लगाना शुभ होता है।

 

हनुमान जी के मंत्र

ॐ हं हनुमते नमः

ॐ हं पवननन्दनाय स्वाहा

ॐ नमो भगवते हनुमते नमः

ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हं फट्

ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वपिमुखाय ठं ठं ठं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा ||

अंजनी गर्भ संभूतया कपिन्द्र सचिवोत्तम रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमान रक्ष रक्ष सर्वदा

मैं जल खोलती हूं, मैं हल खोलती हूं, मैं बंजार व्यापार खोलती हूं, धन अपार आता है। ईश्वर के मंत्र में प्रवेश करो, हनुमान के वचन युगों-युगों तक सत्य हैं।

आठ सिद्धियों और नौ निधियों की दाता, ऐसी महिमा माता जानकी ने दी थी।

हनुमान जी की आरती

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन कला की।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन कला की।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे।

रोग दोष जाके निकट न हुंके।

अंजनि पुत्र महाबलाद।

संत के प्रभु सदा सहाय।।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा पठाए।

लंका रिलीज़ सिया सुधि कथा।

लंका सो कोट समुद्र सी खाँ।

जात पवनसुत बार न लै।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

लंका जारी असुर संहारे।

सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे।

आनि संजीवन प्राण उबारे।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

पतित पाताल तोरि जमकारे।

अहिरावण की भुजा उखारे।

वाम भुजा असुरदल मारे।

दायीं भुजा संत जन तारे।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें।

जय जय जय हनुमान् उचारें।

कंचन था कपूर लौ छाई।

आरती करत अंजना माई।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

लंकाविध्वंस कीन्ह रघुराई।

तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै।

बसी बैकुंठ परमपद पावै।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन कला की।

आरती की जय हनुमान लला की।

दल दुष्टन रघुनाथ कला की।।

हनुमान जयंती का महत्व

हिन्दू धर्म में हनुमान जी को 8 अमर देवताओं में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि वे आज भी धरती पर मौजूद हैं। धार्मिक रूप से प्राप्त धार्मिक सिद्धांत के अनुसार हनुमान जयंती के दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा मिलती है, जिससे उसके जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। इस दिन उन्हें फूल, माला, सिन्दूर के फूल चढाने के साथ-साथ बांसली या बेसन के लोध, तुलसी के पत्ते चढाने से लेकर उन्हें पसंद किया जाता है।