Jaipur धनतेरस पर लोगों ने शुभ संकेत मानकर पूजा के लिए बहीखाता खरीदा
जयपुर न्यूज़ डेस्क, धनतेरस पर मंगलवार को राजस्थान के बाजारों में अरबों की खरीदारी हुई। धनतेरस पर सुबह से बाजारों में भीड़ रही। जयपुर समेत पूरे राजस्थान के बाजारों में पैर रखने की जगह नहीं थी। दुकानों और शोरूम को रंग-बिरंगी लाइट्स से सजाया गया। जयपुर के बाजार में व्यापारियों ने धनतेरस के मौके पर बही-खातों की भी खरीददारी की। दीपावली पर बही-खातों की पूजा की जाती है। हवामहल स्थित बही-खाते का व्यापार करने वाले बसंत जैन ने बताया- पुष्य नक्षत्र, धनतेरस और दीपावली पर इसकी खरीदारी की जाती है। व्यापारी धनतेरस पर साल भर के लिए बही-खाते एक साथ खरीदते हैं। एक अप्रैल से इसका यूज करते है।
एक बही खाता ही शगुन के रूप पूजा के लिए खरीदे जा रहे
उन्होंने बताया- एक दशक पहले दीवाली पर उद्योगपति, व्यवसायी और दुकानदार बही खाते में लेखा-जोखा रखते थे, लेकिन अब डिजिटल युग में बही-खाते का चलन कम हो गया है। पहले दिवाली पर बहियां खूब बिकती थी, अब इनकी बिक्री नाम मात्र की रह गई है। वर्तमान में दीपावली की पूजन के दिन सिर्फ एक बही खाता ही शगुन के रूप पूजा के लिए लेते हैं। एक समय था जब नवरात्रों के दिनों से ही बहियों की बिक्री शुरु हो जाती थी, लेकिन अब इस व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा है, बहियों का स्थान कम्प्यूटर ने ले लिया है।
अब सारा काम डिजिटल हो गया
उन्होंने बताया- तमाम उद्योगपति और व्यवसायी दीपावली से पूर्व हाथ से बने बही-खाते खरीदकर उसकी पूजा करते थे। उसके बाद उसी में पूरे वर्ष के लेनदेन का हिसाब रखते थे, लेकिन वह बीते दौर की बात हो गई। अब सारा काम डिजिटल में आ गया। बिक्री कम होने से बही- खाता विक्रेताओं के चेहरे पर मायूसी देखने को मिल रही है। पहले दीपावली के एक माह पहले ही बहीखातों की दुकान लग जाती थी, लेकिन वर्तमान में ना के बराबर बिक्री हो रही है। हालांकि इस बार बिक्री पिछले सात की तुलना में ठीक है।
लोग सिर्फ शगुन के रूप में लेते हैं
उन्होंने बताया- डिजिटल युग में बही खातों की बिक्री बहुत कम हो गई। पहले बड़े लेजर, रजिस्टर व बही खातों की बिक्री होती थी। अब स्याही वाले पेन की जगह बॉलपेन का उपयोग ले रहे हैं। सिर्फ शगुन के रूप में बही खाता लिया जाता है। वर्तमान में सारा हिसाब-किताब कंप्यूटर से हो रहा है। बही खाता व्यवसाय पर पहले की तुलना में 80 प्रतिशत प्रभाव पड़ा है।
ज्यादातर डिजिटल हो गया हिसाब किताब
सीए काजल सोनी ने कहा कि डिजिटल युग से हिंदुस्तान ही नहीं, पूरे विश्व में काफी प्रभाव पड़ा है 80% लोग डिजिटल माध्यम से कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के माध्यम से हिसाब करते हैं। डिजिटल युग के कारण ही बही खाते की बिक्री कम हो गई है, ग्रामीण क्षेत्र में जरूर कुछ बही खातों का चलन है।