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सिर्फ सैनिक ही नहीं थार मरुस्थल भी करता है भारत की रक्षा, वायरल वीडियो में जानें कैसे रेगिस्तान बनता है दुश्मनों के लिए अभेद्य दीवार ?

सिर्फ सैनिक ही नहीं थार मरुस्थल भी करता है भारत की रक्षा, वायरल वीडियो में जानें कैसे रेगिस्तान बनता है दुश्मनों के लिए अभेद्य दीवार ?
 
सिर्फ सैनिक ही नहीं थार मरुस्थल भी करता है भारत की रक्षा, वायरल वीडियो में जानें कैसे रेगिस्तान बनता है दुश्मनों के लिए अभेद्य दीवार ?

जब बात होती है भारत की सीमाओं की सुरक्षा की, तो हमारी कल्पना में सेना की ताकत, अत्याधुनिक हथियार और युद्धक विमान सामने आते हैं। लेकिन भारत की पश्चिमी सीमा पर एक और शक्तिशाली "सैनिक" मौजूद है – थार मरुस्थल। यह वही थार है जो अपने तपते रेत के टीले, तेज़ गर्म हवाएं और दुर्गम परिस्थितियों से न केवल पर्यटकों को आकर्षित करता है, बल्कि भारत की सुरक्षा में एक प्राकृतिक दीवार की तरह काम करता है।पश्चिमी भारत में फैला यह विशाल मरुस्थल पाकिस्तान की सीमा से सटा है और भारतीय सेना की रणनीतिक तैयारियों का अहम हिस्सा बन चुका है। आइए जानते हैं कि कैसे यह वीरान, सुनसान और तपता हुआ थार भारत की रक्षा में एक अघोषित योद्धा बन चुका है।


थार मरुस्थल: एक भूगोलिक किला
थार मरुस्थल लगभग 2 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और राजस्थान के 12 ज़िलों में इसका विस्तार है। जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर और श्रीगंगानगर जैसे ज़िले पाकिस्तान की सीमा से लगते हैं। यह इलाका भूगोल की दृष्टि से अत्यंत कठिन है—जहां दिन में तापमान 50 डिग्री तक पहुंच सकता है और रात में बेहद ठंड हो सकती है।इसी कठिन भूगोल के कारण यह क्षेत्र बाहरी आक्रमणों के लिए असुविधाजनक और खतरनाक हो जाता है। रेत के टीले, जल की भारी कमी, तथा रास्तों की अस्पष्टता के कारण दुश्मन की सेना को यहां प्रवेश करना आसान नहीं होता।

पैदल और टैंक चालों को रोकता है थार
रेगिस्तान की रेतीली सतह पर टैंक या भारी वाहन चलाना बहुत मुश्किल होता है। अक्सर ये वाहन रेत में फंस जाते हैं या धीमी गति से चलते हैं, जिससे वे निशाना बनने के खतरे में आ जाते हैं। यही कारण है कि पाकिस्तान की सेना थार से सीधे भारत में प्रवेश करने से बचती रही है।इतना ही नहीं, थार की अर्धरात्रि ठंडक, दिन का ताप और तेज़ धूल भरी हवाएं किसी भी सेना के मूवमेंट को बाधित करती हैं। यही प्राकृतिक दुर्गमता भारतीय सीमा की सुरक्षा को मजबूत बनाती है।

रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण
भारतीय सेना ने थार के अंदरूनी इलाकों में सैन्य ठिकाने, एयरस्ट्रिप्स और रडार सिस्टम विकसित किए हैं। जैसलमेर और बीकानेर जैसे इलाकों में सेना की उपस्थिति न केवल थार को सुरक्षित बनाती है, बल्कि दुश्मन को मनोवैज्ञानिक दबाव भी देती है।पोकरण, जो कि थार मरुस्थल में ही स्थित है, भारत के परमाणु परीक्षणों का स्थल रह चुका है। यह साफ़ संकेत देता है कि थार न केवल सुरक्षा के लिहाज से, बल्कि रणनीतिक आक्रामकता के लिए भी उपयुक्त है।

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) की सतर्कता और थार की भूमिका
बीएसएफ की लगातार निगरानी और थार के दुर्गम भूगोल का संयोजन भारत-पाक सीमा को लगभग अभेद्य बना देता है। रेत में लगे कैमरे, सैटेलाइट सर्विलांस, और ऊँट पेट्रोलिंग – ये सभी साधन रेगिस्तान की सुरक्षा में थार की भूमिका को और भी प्रभावी बनाते हैं।थार में "ऊँट बटालियन" बीएसएफ की विशेष पहचान है, जो रेगिस्तान के उन हिस्सों में गश्त करती है जहाँ वाहन नहीं जा सकते। ऐसे में थार की रेत, सीमा की रेखा बनकर दुश्मनों को चुनौती देती है।

चीन की सीमा और थार की तुलना
भारत की उत्तरी सीमा चीन से लगती है, जहाँ बर्फीले पहाड़ सुरक्षा में मदद करते हैं। ठीक उसी तरह, भारत की पश्चिमी सीमा पर थार मरुस्थल एक "गर्म सुरक्षा कवच" का काम करता है। ये दोनों भूगोलिक स्थितियां भारत की सीमाओं को प्राकृतिक रूप से सुरक्षित बनाती हैं। यानी प्रकृति भी भारत की रक्षा में एक सिपाही की तरह खड़ी है।

युद्ध के समय थार की भूमिका
1971 के भारत-पाक युद्ध में थार मरुस्थल की भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता। पाकिस्तान की सेना को थार पार करते हुए भारतीय सेना के मोर्चों तक पहुंचने में भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वहीं भारतीय सैनिक थार की भौगोलिक समझ और ऊंट दलों की मदद से तेज़ और सटीक जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम रहे।

पर्यटन और सुरक्षा: दोहरी भूमिका
थार न सिर्फ सुरक्षा में अहम है बल्कि यह भारत के पर्यटन का भी बड़ा केंद्र है। जैसलमेर, सम, खुरी जैसे स्थान विदेशी और घरेलू सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। लेकिन इन स्थलों के आसपास सेना की सतर्क मौजूदगी यह भी सुनिश्चित करती है कि सुरक्षा किसी भी कीमत पर प्रभावित न हो।

थार मरुस्थल केवल एक रेगिस्तान नहीं, बल्कि भारत की पश्चिमी सीमा का प्राकृतिक प्रहरी है। इसकी तपती रेत, धूलभरी आंधियां और दुर्गम भूगोल भारतीय सेना के लिए एक कवच की तरह हैं। चाहे कोई कितना भी ताकतवर क्यों न हो, थार को पार कर भारत में प्रवेश करना एक जोखिम भरा सपना ही रह जाता है।भारत की सीमाओं की रक्षा केवल सैनिक नहीं करते, बल्कि प्रकृति भी पूरी निष्ठा से इसमें सहभागी बनती है – और थार इसका सजीव उदाहरण है।