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मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रहस्य! क्यों रात होते ही गूंजने लगती हैं आत्माओं की चीखें, वायरल फुटेज में जानिए मंदिर के पीछे का डरावना सच

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रहस्य! क्यों रात होते ही गूंजने लगती हैं आत्माओं की चीखें, वायरल फुटेज में जानिए मंदिर के पीछे का डरावना सच
 
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का रहस्य! क्यों रात होते ही गूंजने लगती हैं आत्माओं की चीखें, वायरल फुटेज में जानिए मंदिर के पीछे का डरावना सच

राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर न सिर्फ एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, बल्कि रहस्यों और रूहानी ताकतों का गढ़ भी माना जाता है। भगवान हनुमान को समर्पित यह मंदिर हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, लेकिन इसके पीछे एक ऐसा सच भी छिपा है जो आम पर्यटक या भक्त की नजरों से अक्सर दूर रहता है। कहते हैं, दिन के उजाले में जहां 'बालाजी महाराज' के जयकारों की गूंज होती है, वहीं रात के सन्नाटे में यहां आत्माओं की चीखें सुनाई देती हैं।


तंत्र-मंत्र और अघोरी क्रियाओं का केंद्र

मेहंदीपुर बालाजी को लेकर सबसे चर्चित विश्वास यह है कि यहां भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। यह मंदिर उन लोगों के लिए आखिरी उम्मीद बनकर सामने आता है, जो तंत्रिक प्रभावों, ऊपरी बाधाओं या मानसिक विकारों से पीड़ित होते हैं। कहा जाता है कि यहां नियमित रूप से ऐसे पीड़ितों को लाया जाता है जिन पर भूत-प्रेत का साया होता है। मंदिर में विशेष 'आरती', 'प्रेत बाधा मुक्ति पाठ' और 'हनुमान चालीसा' के माध्यम से उनका इलाज किया जाता है।मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां कई बार व्यक्ति चीखते हुए गिर पड़ते हैं, उनका शरीर अकड़ जाता है या वे अलग-अलग आवाजों में बोलने लगते हैं — जिसे 'प्रेतबाधा' कहा जाता है।

रात में क्यों सुनाई देती हैं चीखें?
यह सवाल अक्सर सैलानियों के मन में उठता है कि आखिर क्यों मंदिर के आस-पास रहने वाले लोग दावा करते हैं कि रात के समय चीखें और अजीब हरकतें सुनाई देती हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में दिनभर पूजा और तांत्रिक उपायों के दौरान जिन आत्माओं को बाधित किया जाता है, उनकी तड़प रात के समय ज्यादा स्पष्ट रूप से महसूस होती है।हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो यह मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएं, आत्म-सुझाव (Self-suggestion), या भीड़-मानसिकता (Crowd psychology) का असर हो सकता है। लेकिन इन बातों से भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आती।

मंदिर के नियम: रात रुकने की मनाही
मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में एक बहुत खास नियम है — रात को कोई भी मंदिर परिसर या इसके आसपास नहीं रुक सकता। आसपास के धर्मशालाएं और गेस्ट हाउस भी स्पष्ट रूप से निर्देश देते हैं कि शाम के बाद परिसर से दूरी बनाना जरूरी है। लोगों का कहना है कि अगर कोई रात में मंदिर के आस-पास भटकता है तो वो मानसिक रूप से अस्वस्थ हो सकता है या फिर नकारात्मक ऊर्जा की चपेट में आ सकता है।यह नियम और इसके पीछे की मान्यता इस रहस्य को और गहरा कर देते हैं।

अनुभव जो रोंगटे खड़े कर दें
कई भक्त अपने अनुभव साझा करते हैं कि मंदिर के दर्शन के दौरान उन्होंने किसी अदृश्य शक्ति का अहसास किया, किसी ने खुद से दरवाजे खुलते-बंद होते देखे, तो किसी ने सामने खड़े व्यक्ति की आंखों में डरावनी चमक महसूस की।कुछ लोग बताते हैं कि जैसे ही उन्होंने मंदिर के प्रांगण में प्रवेश किया, उनके सिर में भारीपन और बेचैनी शुरू हो गई, जो पूजा संपन्न होने के बाद गायब हो गई। यह सब बातें इस जगह को और भी रहस्यमयी बना देती हैं।

आस्था या अंधविश्वास?
यह सवाल आज भी बना हुआ है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के पीछे की ये कहानियां सच्चाई हैं या सिर्फ मान्यताएं। विज्ञान जहां इन घटनाओं को मानसिक बीमारियों या सम्मोहन का परिणाम बताता है, वहीं भक्तों का विश्वास है कि यह स्थान ईश्वर की कृपा से चमत्कारी है।जो भी हो, इतना तो तय है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रहस्य, भय और आस्था का अद्भुत संगम है। यहां का वातावरण, पूजा विधियां और स्थानीय कहानियां किसी को भी अंदर तक झकझोर सकती हैं।यदि आप इस मंदिर में कभी जाएं, तो आस्था के साथ-साथ इसके रहस्यों को महसूस करने के लिए खुद को तैयार रखें — क्योंकि यह अनुभव साधारण नहीं, बल्कि अद्भुत और कहीं न कहीं अलौकिक हो सकता है।