स्कूल में ही थी मां और बहन... आखों के सामने बच्चे ने तोड़ा दम, चश्मदीद की जुबानी सुनिए झालावाड़ हादसे की दर्दनाक कहानी
राजस्थान के झालावाड़ के एक छोटे से गाँव में, जहाँ कुछ दिन पहले तक हँसी-ठहाकों से गूंजता आँगन था, आज गहरे सन्नाटे में डूबा है। जहाँ दो मासूम भाई-बहन मीना और कान्हा अपनी माँ के सामने खेलते, हँसते और झगड़ते थे, आज उनकी माँ अकेले उदास आँसुओं में डूबी बैठी है... खामोश, उजड़ी हुई और टूटी हुई। 'मेरे सिर्फ़ दो बच्चे थे... एक बेटा और एक बेटी। दोनों चले गए। अब घर सूना है, आँगन सूना है... भगवान मुझे उठा लेते, बच्चों को बचा लेते...' ये शब्द उस माँ के हैं जिसने शुक्रवार को हुए स्कूल हादसे में अपना सबसे बड़ा सहारा खो दिया।
एजेंसी के अनुसार, शुक्रवार सुबह झालावाड़ के पिपलोद सरकारी स्कूल में कक्षा 6 और 7 के छात्र सुबह की प्रार्थना के लिए इकट्ठा हुए थे। इसी बीच अचानक स्कूल की इमारत का एक हिस्सा ढह गया। पलक झपकते ही सब कुछ तहस-नहस हो गया। 35 से ज़्यादा बच्चे मलबे में दब गए, 28 घायल हो गए और सात मासूमों की मौके पर ही मौत हो गई।
मासूमों की लाशें, अस्पताल और मातम
शनिवार की सुबह झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल के मुर्दाघर के बाहर मातम पसरा था। रोती-बिलखती माँओं की चीखें आसमान चीर रही थीं। कुछ माँएँ अपने बच्चों के शवों से लिपटी हुई थीं, उन्हें जाने नहीं दे रही थीं, तो कुछ स्तब्ध थीं... शायद अब भी यकीन नहीं कर पा रही थीं कि उनका लाल अब इस दुनिया में नहीं रहा। अपने बच्चों के अंतिम संस्कार के दौरान माताएँ गश खाकर गिर पड़ीं। (फोटो: पीटीआई) उन सात बच्चों में 6 साल का कान्हा और उसकी 12 साल की बहन मीना भी शामिल थीं। दोनों का अंतिम संस्कार तीन अन्य बच्चों के साथ एक ही चिता पर किया गया। बाकी दो बच्चों का अंतिम संस्कार अलग-अलग किया गया।
इस दर्दनाक त्रासदी का ज़िम्मेदार कौन है?
इस हादसे ने न सिर्फ़ उन सात परिवारों को ज़िंदगी भर का दर्द दिया, बल्कि राजस्थान की ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए। अपने इकलौते बेटे को खोने वाली एक और माँ गुस्से से पूछ रही थी - जब दीवार गिरी तो शिक्षक कहाँ थे? बच्चे अकेले क्यों रह गए? वे बाहर क्या कर रहे थे? यह भी पढ़ें: बच्चे कह रहे थे छत गिर रही है, शिक्षक ने बैठने की धमकी दी! झालावाड़ स्कूल हादसे में बड़ा खुलासा, 5 शिक्षक और एक अधिकारी निलंबित
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्कूल की इमारत पहले से ही जर्जर थी। कई बार शिकायत की गई, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब यह घटना हुई, तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। गुराड़ी चौराहे और एसआरजी अस्पताल के बाहर भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। इस बीच, एक पुलिसकर्मी भी घायल हो गया। स्कूल की छत गिरने के बाद मलबा बिखर गया। (फाइल फोटो: पीटीआई) सरकार ने क्या कार्रवाई की और क्या घोषणाएँ कीं? विज्ञापन
घटना के बाद, राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री मौके पर पहुँचे। उन्होंने प्रत्येक पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने गाँव में एक नया स्कूल भवन बनवाने का वादा किया। झालावाड़ कलेक्टर अजय सिंह ने कहा कि पाँच स्कूल कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है और एक उच्च-स्तरीय जाँच शुरू कर दी गई है।
कलेक्टर ने कहा कि ज़रूरत पड़ने पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और निलंबन को बर्खास्तगी में बदल दिया जाएगा। प्रशासन द्वारा हर संभव मदद की जा रही है और अगले 10 दिनों में अधिकतम आर्थिक मदद पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।
मलबे में जूते, किताबें और टूटी हुई स्लेटें बिखरी पड़ी थीं।
घटना के बाद, गाँव के लोगों ने खुद ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। बच्चों को हाथ से मलबा हटाकर बाहर निकाला गया। बच्चों के बैग, किताबें, टूटी हुई स्लेटें और छोटे जूते मलबे में बिखरे पड़े थे।
प्रशासन ने सभी स्कूल भवनों का जायजा लेने के आदेश दिए हैं। शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जब तक कोई स्कूल भवन पूरी तरह से सुरक्षित न हो जाए, तब तक बच्चों को कक्षाओं में न भेजें। लेकिन उनका क्या जिन्होंने अपने लाल खो दिए? जिनकी गोद सूनी हो गई, जिनके घर में अब खेलकूद की आवाज़, सन्नाटा और आँसुओं की आवाज़ नहीं रही?
