जोधपुर में एमडी ड्रग फैक्ट्री का भंडाफोड़, वीडियो में समझें डार्क वेब से सीखी ड्रग बनाने की तकनीक, युवाओं को बना रहे थे निशाना
राजस्थान के जोधपुर जिले में ड्रग्स के बढ़ते कारोबार पर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। गुजरात एंटी-नारकोटिक्स टीम और जोधपुर ग्रामीण पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन चलाकर शेरगढ़ क्षेत्र में एमडी (मेथामफेटामाइन) ड्रग बनाने की अवैध फैक्ट्री का खुलासा किया है। इस फैक्ट्री से भारी मात्रा में केमिकल, उपकरण और तैयार सामग्री बरामद की गई है। साथ ही पुलिस ने घटना में शामिल छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
डार्क वेब से सीखी खतरनाक ड्रग बनाने की तकनीक
पुलिस जांच में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। गिरफ्तार मुख्य आरोपी अहमदाबाद निवासी मोनू ओझा (36) ने एमडी ड्रग बनाने का तरीका डार्क वेब से सीखने की बात कबूली है। डार्क वेब इंटरनेट का वह हिस्सा है, जिसका उपयोग अक्सर अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है। मोनू ने खास कोडिंग वाले प्लेटफॉर्म पर जाकर विभिन्न केमिकल्स की जानकारी जुटाई और फिर सोर्सिंग के जरिए इन्हें मंगवाकर ड्रग बनाने का धंधा शुरू किया।
जेल में हुई मुलाकात और तैयार हो गया नेटवर्क
पुलिस के अनुसार, मोनू ओझा की मुलाकात कुछ समय पहले जेल में शेरगढ़ के सोईतरा निवासी गोविंद सिंह (40) से हुई थी। दोनों ने वहीं से अपराध की नई योजना तैयार कर ली। जेल से छूटने के बाद दोनों ने एकांत और ग्रामीण इलाके को चुना तथा वहां एमडी ड्रग बनाने की पूरी फैक्ट्री स्थापित कर दी। इसके लिए उन्होंने अलग-अलग जगहों से उपकरण जुटाए और इसे गुप्त रूप से संचालित करते रहे।
युवाओं पर था निशाना, स्कूल-कॉलेज के छात्र उनकी टारगेट लिस्ट में
प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया कि इस गिरोह के निशाने पर राजस्थान के युवा थे। खासतौर पर वे स्कूल और कॉलेज के छात्रों को अपना ग्राहक बनाने की तैयारी कर रहे थे। पुलिस सूत्रों की मानें तो ड्रग देने के बाद आरोपी उन्हें डिपेंडेंट बनाकर मोटी कमाई करना चाहते थे। एमडी ड्रग्स बेहद खतरनाक और एडिक्टिव कैटेगरी की होती है, जिसके सेवन से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित होता है।
सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर बड़ा नेटवर्क
बरामदगी में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, फोन और डिजिटल डिवाइस शामिल हैं, जिनसे पुलिस गिरोह के व्यापक नेटवर्क की जांच कर रही है। आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में अन्य शहरों और राज्यों से भी कई लोग जुड़े हो सकते हैं। इस गिरोह के सप्लाई चैन और फंडिंग की जांच जारी है। पुलिस ने सभी आरोपियों को कोर्ट में प्रस्तुत कर रिमांड पर लिया है, ताकि ड्रग माफिया के छुपे हुए अन्य सदस्यों और सप्लायरों तक पहुंचा जा सके।
राजस्थान में ड्रग्स पर बड़ा खतरा
यह कार्रवाई प्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार की गंभीरता को एक बार फिर उजागर करती है। राजस्थान में पिछले कुछ वर्षों से ड्रग्स, विशेषकर सिंथेटिक ड्रग्स की खपत लगातार बढ़ रही है। स्कूल-कॉलेज के स्तर पर इसकी पैठ चिंताजनक है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि युवाओं के भविष्य को नशे के जाल से बचाना उनकी प्राथमिकता है और इस तरह के अपराधों में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
