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कांग्रेस से गद्दारी करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गिरेगी गाज, उपचुनाव में हार के बाद ऑब्ज़र्वर ने तैयार की रिपोर्ट

 
कांग्रेस से गद्दारी करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं पर गिरेगी गाज, उपचुनाव में हार के बाद ऑब्ज़र्वर ने तैयार की रिपोर्ट

जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में 7 में से 6 सीटों पर मिली हार के बाद कांग्रेस में रार मची है. दौसा और कोटा से पार्टी कार्यकर्ताओं के तकरार की कहानी खुलकर सामने आ चुकी है. लेकिन इसके अलावा भी अन्य जिलों से भी कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में रार की कहानी सामने आ रही है. इस बीच अब बड़ी खबर यह है कि उपचुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस अब पार्टी से गद्दारी करने वाले निष्क्रिय नेताओं और कार्यकर्ताओं पर एक्शन करने जा रही है. दरअसल राजस्थान में सात विधानसभा सीटों के उपचुनावों में कांग्रेस को छह सीटों पर मिली करारी हार के बाद ऑब्ज़र्वर ने हार के कारणों की रिपोर्ट तैयार कर ली है. रिपोर्ट PCC अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को सौंपी जाएगी. उसके बाद निष्क्रिय और पार्टी के साथ ग़द्दारी करने वाले नेताओं कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ एक्शन लिया जाएगा. 

झुंझुनू में गुढ़ा के कारण हारे अमित ओला

ऑब्ज़र्वर ने जो रिपोर्ट तैयार की है उसमें अलग अलग सीटों पर हार के कारण बताए हैं. झुंझुनू सीट पर हार का कारण राजेंद्र सिंह गुढ़ा का चुनाव लड़ना है. इस सीट पर राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने कांग्रेस का वोट बैंक कहे जाने वाले मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाई जिसकी वजह से ओला परिवार के अमित ओला चुनाव हार गए. 

देवली उनियारा में नरेश तो रामगढ़ में ध्रुवीकरण हार का कारण

इसी तरह से देवली उनियारा सीट पर मिली हार की नरेश मीणा का बग़ावत करके चुनाव लड़ना है नरेश मीणा 60 हज़ार के क़रीब वोट ले गए जिससे कांग्रेस को बड़ा नुक़सान हुआ है. रामगढ़ सीट पर हार की बड़ी वजह ध्रुवीकरण को माना गया है. मालूम हो कि रामगढ़ में कांग्रेस विधायक के निधन के बाद उनके बेटे चुनाव लड़े. लेकिन पिता के निधन की सहानुभूति भी उन्हें नहीं मिली.

इन जगहों पर पार्टी नेताओं की निष्क्रियता पड़ी भारी

इसके अलावा सलूम्बर, चौरासी और खींवसर सीट पर हार के कारणों की सबसे बड़ी वजह नेताओं की निष्क्रियता संगठन का कमज़ोर होना सामने आया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष आलाकमान को अपनी रिपोर्ट भेजेंगे और उसके बाद कांग्रेस हो सकता है जल्द ही राजस्थान के संगठनात्मक ढांचे में कुछ बड़े बदलाव करें.