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जयपुर में 180 करोड़ की जमीन जेडीए से फिसली, कोर्ट में पैरवी के लिए कोई वकील नहीं पहुंचा

जयपुर में 180 करोड़ की जमीन जेडीए से फिसली, कोर्ट में पैरवी के लिए कोई वकील नहीं पहुंचा
 
जयपुर में 180 करोड़ की जमीन जेडीए से फिसली, कोर्ट में पैरवी के लिए कोई वकील नहीं पहुंचा

जयपुर जिले के सांगानेर क्षेत्र में स्थित करीब 180 करोड़ रुपए मूल्य की लगभग 12 बीघा जमीन जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण) से फिसल गई है। यह मामला कोर्ट में चल रही सुनवाई का विषय बना हुआ है, लेकिन सुनवाई के दौरान जेडीए की ओर से कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ, जिससे मामले की गंभीरता बढ़ गई है।

जानकारी के अनुसार, यह जमीन सांगानेर क्षेत्र में है और इसका मूल्य लगभग 180 करोड़ रुपए आंका गया है। जमीन पर विवाद को लेकर कोर्ट में मामला लंबित है और सुनवाई जारी है। हाल ही में हुई सुनवाई में जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से पैरवी के लिए कोई वकील उपस्थित नहीं हुआ।

कानूनी जानकारों का कहना है कि किसी भी सरकारी संस्था की ओर से कोर्ट में प्रतिनिधित्व न होना गंभीर मामला माना जाता है। इससे न केवल मामले की सुनवाई प्रभावित होती है बल्कि सरकारी पक्ष की दलीलों को सही समय पर पेश करने में भी बाधा आती है।

विशेषज्ञों ने कहा कि जमीन जैसे बहुमूल्य सरकारी संपत्ति के मामलों में जेडीए की ओर से सक्रिय पैरवी जरूरी होती है। यदि सरकारी वकील उपस्थित नहीं होते हैं तो कोर्ट मामले में पक्षों की दलीलों को प्राथमिकता दे सकती है, जिससे जेडीए के हितों को नुकसान पहुंच सकता है।

स्थानीय सूत्रों ने बताया कि जमीन के मालिकाना हक और उसके मूल्यांकन को लेकर विवाद काफी समय से चल रहा है। सांगानेर क्षेत्र में इस तरह की मूल्यवान जमीन की हकीकत और उसका कानूनी कब्जा कई पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है।

जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से कोर्ट में वकील न पहुंचने के कारण मामले की सुनवाई आगे बढ़ते हुए जटिल रूप ले सकती है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि जेडीए को जल्द से जल्द अपने पक्ष में सही पैरवी सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि जमीन के विवाद में उसके अधिकार सुरक्षित रहें।

इस मामले ने सांगानेर क्षेत्र में जमीन के विवाद और सरकारी संस्थाओं की कानूनी प्रक्रिया में सतर्कता की आवश्यकता पर भी ध्यान आकर्षित किया है। इसके अलावा, इससे आम जनता में भी यह संदेश गया है कि सरकारी संपत्तियों के मामले में लगातार निगरानी और सक्रिय कानूनी पैरवी जरूरी है।

जयपुर कोर्ट में चल रही इस सुनवाई का अगला चरण काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि जेडीए को भविष्य में ऐसे मामलों में अपनी कानूनी टीम को सुनिश्चित रखना चाहिए ताकि संपत्ति के बड़े और बहुमूल्य मामलों में कोई जटिलता या नुकसान न हो।