राणा कुंभा ने बनवाया था कुम्भलगढ़ का किला, 4 हजार कारीगरों ने मिलकर 8 साल में किया था तैयार, वीडियो में देखें इसके निर्माण की रोचक कहानी
राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित कुंभलगढ़ किला न केवल अपनी विशालता और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके निर्माण से जुड़ी रहस्यमयी कहानियाँ भी इसे विशेष बनाती हैं। 15वीं शताब्दी में मेवाड़ के शक्तिशाली शासक महाराणा कुंभा ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया था, जो आज भी भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
निर्माण की शुरुआत और चुनौतियाँ
कुंभलगढ़ किले का निर्माण कार्य सन् 1443 में प्रारंभ हुआ और 1458 में पूर्ण हुआ। इस भव्य दुर्ग के निर्माण में लगभग 15 वर्ष लगे। किले के निर्माण में 4,000 से अधिक कारीगरों ने मिलकर कार्य किया, जो उस समय की स्थापत्य कला और श्रमशक्ति का अद्भुत उदाहरण है।
भैरव मुनि का बलिदान
किले के निर्माण के दौरान कई बार दीवारें रातों-रात गिर जाती थीं। स्थानीय लोगों ने बताया कि यह किसी दैवी शक्ति के कारण हो रहा है और समाधान के लिए एक स्वैच्छिक बलिदान आवश्यक है। भैरव मुनि नामक एक संत ने स्वयं को बलिदान के लिए प्रस्तुत किया। उनके बलिदान के बाद किले का निर्माण बिना किसी विघ्न के पूर्ण हुआ। जहाँ उनका सिर गिरा, वहाँ 'भैरव पोल' नामक द्वार बनाया गया, जो आज भी किले का एक प्रमुख प्रवेश द्वार है।
स्थापत्य कला और विशेषताएँ
कुंभलगढ़ किला समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और इसे 'ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया' के नाम से भी जाना जाता है। किले की दीवार लगभग 36 किलोमीटर लंबी है, जो चीन की महान दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार मानी जाती है। इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि आठ घोड़े एक साथ चल सकते हैं।
ऐतिहासिक महत्व
कुंभलगढ़ किला मेवाड़ की 'संकटकालीन राजधानी' रहा है। महाराणा प्रताप का जन्म इसी किले में हुआ था। पन्ना धाय ने महाराणा उदय सिंह को इसी किले में छिपाकर उनकी रक्षा की थी। कई युद्धों और आक्रमणों के बावजूद यह किला लगभग अजेय रहा है।
धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर
किले के भीतर 360 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें 300 जैन और शेष हिंदू मंदिर हैं। यह किला न केवल सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी रहा है।
कुंभलगढ़ महोत्सव
हर वर्ष दिसंबर में 'कुंभलगढ़ महोत्सव' का आयोजन होता है, जिसमें राजस्थानी लोक नृत्य, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं। यह महोत्सव पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
निष्कर्ष
कुंभलगढ़ किला न केवल स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह मेवाड़ की वीरता, त्याग और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। इस किले की दीवारें, मंदिर और महल आज भी इतिहास की गाथाएँ सुनाते हैं।
