राजस्थान का गौरव कुम्भलगढ़ फोर्ट! घूमने लायक इन 6 जगहों को जरूर करें एक्सप्लोर, जो आपकी ट्रिप को हमेशा के लिए बना देंगी यादगार
राजस्थान की रेत में बसा हुआ कुम्भलगढ़ किला न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से बल्कि वास्तुशिल्प, संस्कृति और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक अत्यंत आकर्षक स्थल है। अरावली की पर्वत श्रंखलाओं के बीच स्थित यह किला राणा कुंभा की वीरगाथा का प्रतीक है और यह इतना विशाल है कि इसकी दीवार को भारत की "ग्रेट वॉल" भी कहा जाता है।कुम्भलगढ़ फोर्ट यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है और हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन यदि आप इस किले में घूमने का प्लान बना रहे हैं, तो सिर्फ मुख्य दुर्ग तक सीमित न रहें। आज हम आपको बताएंगे कुम्भलगढ़ फोर्ट में घूमने की कुछ खास और बेस्ट जगहों के बारे में, जो आपके ट्रिप को यादगार बना देंगी।
1. कुम्भलगढ़ किला परिसर (Main Fort Complex)
सबसे पहले बात करें किले के मुख्य भाग की — तो ये राजपूती शौर्य और निर्माण कला का जीता-जागता उदाहरण है। राणा कुंभा द्वारा 15वीं शताब्दी में बनवाया गया यह किला समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और यहां से आसपास की पहाड़ियों और घाटियों का दृश्य अत्यंत मनोहारी होता है।
क्या देखें:
दुर्ग की विशाल दीवार जो 36 किलोमीटर तक फैली है — यह चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है।
महल परिसर, जिसमें अलग-अलग हिस्सों में राणाओं का आवास, सभागार और अन्य संरचनाएं बनी हैं।
दुर्ग के मुख्य द्वार — राम पोल और हनुमान पोल।
2. बादल महल (Badal Mahal)
कुम्भलगढ़ फोर्ट का सबसे ऊंचा और खूबसूरत भाग है बादल महल, जिसे "Cloud Palace" भी कहा जाता है। यह महल राजा और रानी के अलग-अलग भागों में बंटा हुआ है, और इसकी वास्तुकला में राजस्थानी और मुगल शैली का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है।
विशेषताएं:
यहां से पूरे किले और आसपास की घाटियों का 360 डिग्री दृश्य मिलता है।
महल की दीवारों पर रंग-बिरंगे भित्तिचित्र और जालीदार खिड़कियां इसकी खूबसूरती को और बढ़ाती हैं।
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां से लिया गया दृश्य बेहद आकर्षक होता है।
3. नेहरू टॉवर और मंदिर परिसर
कुम्भलगढ़ में आपको लगभग 300 से अधिक मंदिर देखने को मिलेंगे — जिनमें से कुछ जैन शैली में और कुछ हिंदू शैली में बने हैं।
नेहरू टॉवर, जो किले के पश्चिमी हिस्से में स्थित है, एक महत्वपूर्ण व्यू पॉइंट है।
प्रमुख मंदिर:
वेदी मंदिर
नीलकंठ महादेव मंदिर
ममता माता मंदिर
ये मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्थापत्य कला के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं।
4. कुम्भलगढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी
अगर आप सिर्फ इतिहास ही नहीं बल्कि प्रकृति और वाइल्डलाइफ में भी रुचि रखते हैं, तो कुम्भलगढ़ वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी एक जरूरी पड़ाव है। यह अभयारण्य अरावली की पर्वतमालाओं में फैला हुआ है और बाघ, तेंदुए, नीलगाय, भालू और कई प्रजातियों के पक्षी यहां पाए जाते हैं।
क्या करें:
जंगल सफारी (जीप या ट्रेकिंग दोनों विकल्प उपलब्ध)
बर्ड वॉचिंग
प्रकृति प्रेमियों के लिए फोटोग्राफी हॉटस्पॉट
5. लाइट एंड साउंड शो
अगर आप कुम्भलगढ़ की यात्रा को इतिहास और भावना से जुड़ाव के साथ अनुभव करना चाहते हैं, तो शाम को आयोजित होने वाला लाइट एंड साउंड शो बिल्कुल भी मिस न करें। यह शो राणा कुंभा से लेकर महाराणा प्रताप तक की गाथाओं को बेहद प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करता है।
समय: शाम 6:30 बजे (सीजन अनुसार समय बदल सकता है)
भाषा: हिंदी
स्थान: मुख्य किला परिसर
6. स्थानीय बाज़ार और कैफे
किले के बाहर और पास ही कुछ छोटे स्थानीय बाजार और कैफे भी मिलते हैं जहां से आप राजस्थानी हस्तशिल्प, लोककला, पारंपरिक आभूषण और स्थानीय खानपान का स्वाद ले सकते हैं।
जरूर ट्राय करें:
बाटी चूरमा
घेवर
राजस्थानी कढ़ी
मक्के की रोटी और सरसों का साग (सीजनल)
यात्रा सुझाव और जरूरी जानकारी:
घूमने का सही समय: अक्टूबर से मार्च (सर्दियों का मौसम ज्यादा अनुकूल होता है)
कैसे पहुंचें: उदयपुर से लगभग 85 किमी की दूरी पर स्थित है। टैक्सी या लोकल बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
एंट्री फीस: भारतीय नागरिकों के लिए ₹40, विदेशी पर्यटकों के लिए ₹600 (विभिन्न हिस्सों के लिए अलग-अलग शुल्क हो सकता है)
समय: सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक
ट्रेकिंग पसंद करने वालों के लिए: हल्दीघाटी और कुम्भलगढ़ के बीच कई ट्रेकिंग ट्रेल्स भी उपलब्ध हैं।
कुम्भलगढ़ सिर्फ एक किला नहीं है, यह राजस्थान की गौरवशाली विरासत और प्रकृति की खूबसूरती का अद्भुत संगम है। यहां का हर कोना एक कहानी कहता है — वीरता की, स्थापत्य की, और संस्कृति की। अगर आप इस समर या विंटर सीजन में एक ऐसा ट्रिप प्लान कर रहे हैं जो रोमांच, शांति, और इतिहास का मिला-जुला अनुभव दे, तो कुम्भलगढ़ फोर्ट आपकी लिस्ट में सबसे ऊपर होना चाहिए।
