राजस्थान हाईकोर्ट को मिला नया मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस के. आर. श्रीराम ने ली शपथ
राजस्थान हाईकोर्ट को सोमवार को अपना 43वां मुख्य न्यायाधीश मिल गया है। वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस के. आर. श्रीराम ने आज राजभवन में आयोजित एक गरिमामय समारोह में राज्यपाल हरिभाऊ बागडे से मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की। उनके शपथ ग्रहण के साथ ही राजस्थान न्यायपालिका में एक नया अध्याय जुड़ गया।
शपथ ग्रहण समारोह में राज्य के कई शीर्ष नेता और अधिकारी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, उप मुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा सहित राज्य मंत्रिमंडल के अन्य सदस्य भी इस अवसर पर मौजूद थे। समारोह का आयोजन राजभवन के सभागार में किया गया, जहां न्यायिक, प्रशासनिक और राजनीतिक जगत की प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया।
न्यायिक अनुभव और योगदान
जस्टिस के. आर. श्रीराम का न्यायिक क्षेत्र में लंबा और प्रतिष्ठित अनुभव रहा है। वे विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा दे चुके हैं और अपने निष्पक्ष तथा विधि-निष्ठ निर्णयों के लिए पहचाने जाते हैं। उन्हें संवैधानिक मामलों, नागरिक कानून और प्रशासनिक न्याय की गहरी समझ के लिए जाना जाता है।
राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में यह उनकी पहली नियुक्ति है, और न्याय जगत को उनसे कई महत्वपूर्ण सुधार और प्रभावशाली निर्णयों की उम्मीद है।
राज्य सरकार ने दी बधाई
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जस्टिस श्रीराम को बधाई देते हुए कहा कि "राजस्थान की न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और न्याय के मूल्यों को आगे बढ़ाने में जस्टिस श्रीराम की भूमिका अहम होगी। हमें उम्मीद है कि उनके नेतृत्व में हाईकोर्ट और अधिक प्रभावशाली और जनहितकारी दिशा में आगे बढ़ेगा।"
विधिक क्षेत्र की सराहना
राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने भी मुख्य न्यायाधीश को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि "न्यायपालिका लोकतंत्र का एक मजबूत स्तंभ है और जस्टिस श्रीराम के नेतृत्व में यह स्तंभ और भी सुदृढ़ होगा।"
राजस्थान बार एसोसिएशन और अन्य विधिक संगठनों ने भी जस्टिस श्रीराम की नियुक्ति का स्वागत किया है। बार एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा कि जस्टिस श्रीराम का न्याय के प्रति समर्पण और निष्पक्ष दृष्टिकोण राजस्थान की जनता को सशक्त न्याय दिलाने में अहम भूमिका निभाएगा।
जस्टिस के. आर. श्रीराम की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब राज्य में कई संवेदनशील और महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट में लंबित है। अब देखना होगा कि उनके नेतृत्व में न्यायिक कार्यप्रणाली में क्या नये बदलाव देखने को मिलते हैं।
