जोधपुर के औद्योगिक प्रदूषण से बालोतरा क्षेत्र में गंभीर संकट, अराबा पुरोहितान गांव के लोग घर छोड़ने को मजबूर
जोधपुर की औद्योगिक इकाइयों से लगातार छोड़ा जा रहा रसायनिक और प्रदूषित पानी अब बालोतरा क्षेत्र के सीमावर्ती गांवों के लिए गंभीर संकट बन चुका है। सोमवार शाम को स्थिति इतनी भयावह हो गई कि अराबा पुरोहितान गांव के लोगों को प्रशासन के मौखिक निर्देशों के बाद अपने घर खाली करने पड़े। यह घटनाक्रम उस वक्त सामने आया, जब ग्रामीणों को ग्राम पंचायत द्वारा चेतावनी दी गई कि यदि वे समय रहते घर नहीं छोड़ते हैं, तो संभावित जान-माल की हानि की जिम्मेदारी उनकी स्वयं की होगी।
ग्राम पंचायत द्वारा दी गई चेतावनी:
ग्राम पंचायत की चेतावनी के बाद लोग सकते में आ गए और घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की व्यवस्था करने में जुट गए। कई ग्रामीणों ने घर छोड़ने से पहले अपने व्यक्तिगत सामान को सुरक्षित किया और सुरक्षित स्थानों पर चले गए।
प्रभारी मंत्री का पूर्व बयान और विरोधाभास:
गौरतलब है कि ठीक 24 घंटे पहले ही जोधपुर जिले के प्रभारी मंत्री जोराराम कुमावत ने डोली और अराबा गांवों में आ रहे पानी को "सामान्य बरसाती पानी" बताया था। उन्होंने कहा था कि यह पानी प्राकृतिक बरसात के कारण आ रहा है और इसका कोई गंभीर खतरा नहीं है, बल्कि यह तो एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिसे ग्रामीणों को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए। हालांकि, मंत्री का यह बयान अब विरोधाभास में दिखाई दे रहा है, क्योंकि उसी पानी के कारण अब गांव के लोग अपने घरों को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं।
औद्योगिक प्रदूषण का बढ़ता खतरा:
जोधपुर में स्थित कई औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले रसायनिक और प्रदूषित पानी की समस्या लंबे समय से जारी है। यह पानी न केवल स्थानीय जलस्रोतों को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि अब यह मानव जीवन के लिए भी खतरा बन गया है। ग्रामीण इलाकों में प्रदूषण के कारण कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहा है, और कई लोग स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
प्रशासन ने इस गंभीर स्थिति को लेकर कार्रवाई तेज कर दी है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। प्रशासनिक अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं और सुरक्षित स्थानों पर लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया पर काम कर रहे हैं। हालांकि, स्थानीय लोग प्रशासन की कार्रवाई को नाकाफी बता रहे हैं और प्रदूषण के मामले में ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
नदी और जलस्रोतों की सुरक्षा पर सवाल:
यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि किस तरह से औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण को नियंत्रित किया जा रहा है और क्या पर्यावरण संरक्षण के नियमों का सख्ती से पालन किया जा रहा है। नदी और जलस्रोतों की सुरक्षा की दिशा में प्रशासन को ठोस और दीर्घकालिक समाधान खोजना होगा ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों।
ग्रामीणों की मांग:
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और प्रभावित क्षेत्रों में उचित सुरक्षा व्यवस्था की जाए। उनका कहना है कि उनका जीवन पहले से ही संकट में था, और अब प्रदूषित पानी के कारण यह संकट और बढ़ गया है।
