स्कूल हादसे से दहला झालावाड़! लापरवाही, सिस्टम फेल और मासूमों की बलि… वायरल वीडियो में जाने कौन है असली दोषी?
झालावाड़ में स्कूल भवन गिरने की दुखद घटना के बाद राज्य में रोष व्याप्त है। प्रारंभिक जाँच के आधार पर कार्यवाहक प्रधानाचार्य समेत 5 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। वहीं विपक्ष शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के इस्तीफे की माँग कर रहा है। दरअसल, यह हादसा सिर्फ़ एक स्कूल भवन के गिरने का नहीं, बल्कि व्यवस्था की नाकामी का प्रतीक है। इस हादसे के लिए सीधे तौर पर पाँच बड़े चेहरों को ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। जिनकी लापरवाही और चूक ने मासूमों की जान ले ली।
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर
शिक्षा मंत्री के तौर पर मदन दिलावर की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी राज्य की शिक्षा व्यवस्था की नीतिगत निगरानी और प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। जर्जर स्कूल भवनों का मुद्दा लंबे समय से उठाया जा रहा था। लेकिन मंत्री महोदय इन पर ध्यान देने या ठोस कार्रवाई करने में उदासीन रहे। उनकी निगरानी के अभाव में ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर त्वरित निर्णय नहीं लिए जा सके और निर्देशों का ज़मीनी स्तर पर पालन सुनिश्चित नहीं हो सका। हालाँकि, मदन दिलावर ने अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करते हुए व्यवस्था को दुरुस्त करने की बात कही है।
सीताराम जाट, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा निदेशालय
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक के रूप में, सीताराम जाट की ज़िम्मेदारी सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों की पहचान करना, उनकी मरम्मत या ध्वस्तीकरण के संबंध में स्पष्ट निर्देश जारी करना और उनका पालन सुनिश्चित करना है। आरोप है कि निदेशालय ने इस संबंध में पर्याप्त सक्रियता नहीं दिखाई और क्षेत्रीय अधिकारियों से नियमित रिपोर्ट नहीं माँगी। यदि निर्देश जारी भी किए गए, तो उनका प्रभावी पालन सुनिश्चित नहीं किया गया। इससे पता चलता है कि वे जवाबदेही तय करने में भी विफल रहे हैं।
झालावाड़ जिला कलेक्टर - अजय सिंह राठौर
ज़िले के मुखिया होने के नाते, झालावाड़ जिला कलेक्टर की ज़िम्मेदारी है कि वे ज़िले के सभी सरकारी भवनों, विशेषकर स्कूलों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। इसमें समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट करवाना, जर्जर भवनों की पहचान करना और उनके सुधार या स्थानांतरण के लिए आवश्यक कदम उठाना शामिल है। जिस स्कूल भवन में यह दुर्घटना हुई, उसकी जर्जर स्थिति को जानते हुए भी यदि उन्होंने त्वरित और निर्णायक कार्रवाई नहीं की, तो यह उनकी प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी राम सिंह मीणा
उनका कार्य ज़िले के स्कूलों की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और रखरखाव पर प्रत्यक्ष निगरानी रखना है। जर्जर इमारतों की जानकारी होना और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत करवाना या बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहुँचाना उनकी ज़िम्मेदारी थी। अगर उन्हें स्कूल की ख़राब स्थिति की जानकारी थी और उन्होंने उच्च अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के लिए सूचित नहीं किया या उनके निर्देशों का पालन नहीं किया, तो यह सीधे तौर पर क्षेत्र स्तर की लापरवाही है।
कार्यवाहक प्रधानाचार्य - मीना गर्ग
स्कूल प्रधानाचार्य की सबसे महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी स्कूल परिसर में बच्चों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ग्रामीणों की शिकायतों और स्वयं की निगरानी के कारण कार्यवाहक प्रधानाचार्य को इमारत की जर्जर स्थिति की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने बच्चों को उस खतरनाक इमारत में पढ़ने दिया, तो यह बच्चों की सुरक्षा के प्रति उनकी घोर उदासीनता दर्शाता है। यह उनके कर्तव्य में एक बड़ी चूक है, जिसके लिए वे सीधे तौर पर ज़िम्मेदार हैं। सरकार ने उन्हें चार शिक्षकों के साथ निलंबित कर दिया है। कुल मिलाकर, यह सिर्फ़ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की विफलता है। जहाँ लापरवाही की परतों ने एक दर्दनाक त्रासदी को जन्म दिया है। अब देखना यह है कि सरकार इस मामले में क्या ठोस कदम उठाती है।
