जैसलमेर बार एसोसिएशन चुनाव में विवाद, विपक्षी उम्मीदवारों के नामांकन खारिज, निर्विरोध बने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष
राजस्थान के जैसलमेर जिले में 2026 के सालाना चुनाव में किशन प्रताप सिंह राठौर बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट बिना किसी विरोध के चुने गए। चुनाव बिना किसी वोटिंग के हुए, लेकिन नॉमिनेशन कैंसिल होने से कुछ वकीलों में गुस्सा है। चीफ इलेक्शन ऑफिसर पृथ्वी सिंह ने इस प्रोसेस को पूरी तरह से लीगल बताया, जबकि विपक्ष इसे कानून के खिलाफ बता रहा है। चुनाव के बाद, नए चुने गए पदाधिकारियों का माला पहनाकर स्वागत किया गया।
नॉमिनेशन प्रोसेस के दौरान क्या हुआ?
चुनाव पहले 12 दिसंबर को होने थे। 9 दिसंबर को छह पोस्ट के लिए नॉमिनेशन फाइल किए गए थे। नॉमिनेशन पेपर की स्क्रूटनी और ऑब्जेक्शन के निपटारे के बाद, छह कैंडिडेट के फॉर्म वैलिड घोषित किए गए, जबकि तीन कैंडिडेट के फॉर्म इनवैलिड और रिजेक्ट कर दिए गए।
प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए कवराज सिंह राठौर और सवाई सिंह के नॉमिनेशन इनवैलिड घोषित किए गए। इसी तरह, वाइस प्रेसिडेंट पोस्ट के लिए टीकू राम गर्ग का फॉर्म भी रिजेक्ट कर दिया गया। हर पोस्ट के लिए सिर्फ एक वैलिड नॉमिनेशन बचा, जिससे चुनाव बिना किसी विरोध के हो गया। नई चुनी गई टीम की घोषणा
किशन प्रताप सिंह राठौड़ प्रेसिडेंट बने। महेश कुमार माहेश्वरी वाइस प्रेसिडेंट, दीन खान जॉइंट सेक्रेटरी, किशनराम ट्रेजरर, प्रयाग सिंह ट्रेजरर और प्रथमेश आचार्य लाइब्रेरी सेक्रेटरी चुने गए। चीफ इलेक्शन ऑफिसर पृथ्वी सिंह भाटी और इलेक्शन ऑफिसर विपिन कुमार व्यास ने सभी को सर्टिफिकेट दिए।
नए चुने गए प्रेसिडेंट राठौड़ ने कहा कि यह एक अहम जिम्मेदारी है। वह सभी वकीलों को साथ लेकर चलेंगे, यह पक्का करेंगे कि वे डिसिप्लिन में रहें और जनता के भले के लिए काम करें।
विरोध और आरोप
चुनाव के तुरंत बाद एडवोकेट सवाई सिंह ने प्रोसेस पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव पूरी तरह से गैर-कानूनी थे। यह मौजूदा प्रेसिडेंट और इलेक्शन ऑफिसर की मिलीभगत की वजह से हुआ। उनका नॉमिनेशन गलत तरीके से रिजेक्ट कर दिया गया। बार के 300 से ज़्यादा दूसरे वकीलों को वोट देने से रोका गया।
वे इस फैसले को राजस्थान हाई कोर्ट और बार काउंसिल में चैलेंज करेंगे। कई दूसरे वकीलों ने भी चीफ इलेक्शन ऑफिसर पृथ्वी सिंह पर आरोप लगाए।
चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर का जवाब
पृथ्वी सिंह ने सभी आरोपों को साफ तौर पर मना कर दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रेसिडेंट के दिए गए डॉक्यूमेंट्स के आधार पर एक्शन लिया गया था। सारी जानकारी नोटिस बोर्ड पर लगा दी गई थी। जब नॉमिनेशन रिजेक्ट हो गए और हर पोस्ट के लिए सिर्फ एक कैंडिडेट बचा, तो वोटिंग का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने इलेक्शन को ट्रांसपेरेंट बताया।
