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जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर जहां खुद भगवान कृष्ण ने दिए थे दर्शन, लीक्ड वीडियो में जानिए इस मंदिर की चमत्कारी गाथा

जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर जहां खुद भगवान कृष्ण ने दिए थे दर्शन, लीक्ड वीडियो में जानिए इस मंदिर की चमत्कारी गाथा
 
जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर जहां खुद भगवान कृष्ण ने दिए थे दर्शन, लीक्ड वीडियो में जानिए इस मंदिर की चमत्कारी गाथा

राजस्थान की राजधानी जयपुर सिर्फ अपनी राजसी हवेलियों, किलों और रंगीले बाजारों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी आध्यात्मिक विरासत के लिए भी जानी जाती है। इस विरासत का सबसे अद्भुत और आस्था से भरा हिस्सा है गोविंद देव जी मंदिर, जो केवल एक मंदिर नहीं बल्कि लाखों भक्तों की आस्था का जीवंत केंद्र है। यहां यह विश्वास किया जाता है कि स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इस मंदिर में प्रत्यक्ष दर्शन दिए थे, और यही वजह है कि यह मंदिर ना केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारतवर्ष में एक विशिष्ट स्थान रखता है।

मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक परिचय

गोविंद देव जी मंदिर जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित है। यह मंदिर महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 18वीं शताब्दी में बनवाया गया था। गोविंद देव जी की प्रतिमा को वृंदावन से लाकर यहाँ प्रतिष्ठित किया गया, और यह वही प्रतिमा मानी जाती है जिसे महाभारत काल में स्वयं श्रीकृष्ण ने अपने स्वरूप के अनुसार बनवाया था। इसे ब्रह्मा जी द्वारा दिव्य दृष्टि से देखे गए स्वरूप के आधार पर महान भक्त और संत श्री रूप गोस्वामी ने गढ़वाया था।कहते हैं जब रूप गोस्वामी ने गोविंद देव जी की यह प्रतिमा बनाई और उसे वृंदावन में स्थापित किया, तो एक दिन श्रीकृष्ण ने दर्शन देकर कहा, “यह मेरी सजीव मूर्ति है।” जब बाद में मुगलों के काल में वृंदावन पर खतरा मंडराने लगा, तो भक्तों ने इस प्रतिमा को छिपाकर जयपुर लाया, जहां सवाई जयसिंह ने उसका विशेष रूप से स्वागत किया और मंदिर का निर्माण कराया।

मंदिर की विशेषताएं: झांकियां और दर्शन

गोविंद देव जी मंदिर की सबसे खास बात है यहां दिन में सात बार बदलती झांकी। हर झांकी एक विशेष भावना और सेवा को दर्शाती है—मंगला, श्रृंगार, राजभोग, उत्थापन, संध्या, शयन आदि। हजारों भक्त इन झांकियों के समय मंदिर पहुंचते हैं, क्योंकि मान्यता है कि हर दर्शन श्रीकृष्ण के साक्षात दर्शन के समान होता है।यहां कोई घंटी नहीं बजाई जाती, कोई शोर नहीं होता, बल्कि भजन और कीर्तन के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बनाया जाता है। भगवान के दर्शन समय पर नहीं, बल्कि भावनाओं पर आधारित होते हैं। जब भगवान की सेवा पूरी होती है, तभी मंदिर के पट खुलते हैं। यही उसे और भी खास बनाता है।

राजघराने और मंदिर का अटूट संबंध

जयपुर का गोविंद देव जी मंदिर सिर्फ भक्तों के लिए नहीं, बल्कि जयपुर के राजपरिवार की भी कुलदेवता के रूप में पूजित है। राजपरिवार द्वारा आज भी मंदिर की सेवा में विशेष ध्यान दिया जाता है। त्योहारों के अवसर पर जैसे जन्माष्टमी, राधाष्टमी, झूलन उत्सव और फूल बंगला आदि पर मंदिर को स्वर्ण, चांदी और कीमती पत्थरों से सजाया जाता है।सावन के महीने में झूलन उत्सव के दौरान भगवान झूले पर विराजमान होते हैं और झांकी देखने के लिए पूरे देश से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। मंदिर के परिसर में भजन-कीर्तन, भागवत कथा और रासलीला जैसे कार्यक्रम होते हैं, जो श्रद्धालुओं को राधा-कृष्ण की भक्ति में डुबो देते हैं।

चमत्कारी मान्यताएं और भक्तों का अनुभव

कहा जाता है कि गोविंद देव जी की प्रतिमा इतनी जीवंत है कि कई भक्तों को भगवान की आंखें हिलती हुई प्रतीत होती हैं। कई लोग बताते हैं कि जब उन्होंने जीवन में कोई कठिन परिस्थिति झेली, और ईमानदारी से यहां दर्शन किया, तो समस्या का समाधान अपने आप निकल आया। मंदिर से जुड़ी अनेक चमत्कारी कथाएं लोकमानस में प्रचलित हैं, जो इसकी दिव्यता को और गहरा बनाती हैं।

मंदिर दर्शन का समय और टिप्स

गोविंद देव जी मंदिर में दर्शन के लिए हर दिन सात झांकियों का समय निश्चित होता है। मंदिर सुबह 5 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है, लेकिन दर्शन झांकी समयानुसार ही होते हैं। इसलिए यदि आप दर्शन करना चाहते हैं, तो मंदिर की वेबसाइट या स्थानीय सूचना के अनुसार झांकी समय पहले से जान लें।